Gondvana Ki Lokkathayen

Author:

Vijay Choursiya

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Rs628 Rs795 21% OFF

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2008
ISBN-13

9788126715466

ISBN-10 9788126715466
Binding

Hardcover

Number of Pages 332 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 x 14 x 4
Weight (grms) 499
इस किताब का आधारभूत उद्‌देश्य हिंसा अपराधों के पीछे छिपे मनोविज्ञान को समझना है जो सबसे कम बिगड़े तथा भारतीय आदिवासियों में श्रेष्ठ प्रजाति के लोगों द्वारा किए जाते हैं, तथा वे परिस्थितियाँ जो यहाँ के आदमी, औरतों को आत्महत्या करने के लिए उकसाती हैं । ऐसी कृति तथा शोधकार्य उन आदिवासियों को, जो जजों तथा मजिस्ट्रेटों द्वारा अपराधी करार दिए जाते हैं, सावधानी तथा बुद्धिमत्तापूर्ण ढंग से समझने तथा उनके साथ सलूक करने के लिए मार्गदर्शन दे सकते हैं । यह कृति निश्चित रूप से दंडित करने तथा आदिवासी कैदियों के साथ जेल में किए जाने वाले व्यवहार पर भी प्रश्न उठाती है । इस किताब के शुरुआती पृष्ठों में मारिया जीवन की विविधता को सारांश में बतलाया गया है । इस संक्षिप्तता में ही उनके अनेक विविध पक्षों को उजागर किया गया है । यह किताब अपराधों के अध्ययन की अपेक्षा सामाजिक नृतत्व विज्ञान के लिए एक अमूल्य योगदान है ।

Vijay Choursiya

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