Filip Midoz Teilar
पुस्तक का लेखक स्वयं एक अंग्रेज था, परन्तु अमीर अली द्वारा फिरंगियों के प्रति व्यक्त किए गए वक्तव्यों को वह यथावत् लिपिबद्ध करता गया। एक विशेष बात इस पुस्तक में और भी है, वह यह कि भारतीय संस्कृति की छाप उसमें सर्वत्र परिलक्षित होती है। साथ ही विचारशीलता एवं मनोभावों का सम्मिश्रण करके लेखक ने उसे अधिक संवेदनशील बना दिया है।
डॉ. राज नारायण पांडेय
जन्म: 20 फरवरी, 1924, कानपुर।
शिक्षा: एम.ए., साहित्यरत्न, साहित्यालंकार, पी-एच.डी.।
भाषा-ज्ञान: हिन्दी-अंग्रेजी के अतिरिक्त फारसी, उर्दू, अपभ्रंश, जर्मन, अरबी, उड़िया।
साहित्यिक-सांस्कृतिक क्षेत्र: कानपुर की प्रमुख संस्था ‘हिन्दी साहित्य परिषद’ का 9 वर्षों तक मन्त्री-पद से संचालन। अनेक साहित्यिक गोष्ठियों, नाटकों आदि गतिविधियों में सक्रिय योगदान।
सेवा-कार्य: केन्द्रीय गृह मन्त्रालय के राजभाषा विभाग में प्राध्यापक पद पर कलकत्ता, कटक, भुवनेश्वर, कानपुर के केन्द्रीय सरकार के अधिकारियों को हिन्दी शिक्षण - 25 वर्षों तक।
प्रकाशित पुस्तक: महाकवि पुण्यदन्त (10वीं शताब्दी के अपभ्रंश कवि पर शोध प्रबन्ध)।
Filip Midoz Teilar
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