Publisher |
V & S Publishers |
Publication Year |
2016 |
ISBN-13 |
9789350576335 |
ISBN-10 |
9789350576335 |
Binding |
Paperback |
Number of Pages |
98 Pages |
Language |
(Hindi) |
Weight (grms) |
122 |
आज पश्चिम के स्वच्छंद और भोग वादी संस्कृति के कारण हमारा पर्यावरण बदल गया है। आनंद लेने, योजनाओं में जीने और चकाचौंध भरी दुनिया में जीने की होड़ है। इस तरह की जीवनशैली से बच्चे सबसे पहले प्रभावित होते हैं, क्योंकि सीखने, समझने और परिपक्व होने की कच्ची उम्र में वे परीलोक जैसी काल्पनिक दुनिया की ओर आकर्षित होते हैं। यह संक्रमण अवधि भयानक है, जिससे बचना अपरिहार्य है। लाड़प्यार, चोरी, जिद, ईर्ष्या, आलस्य, पढ़ाई की बोरियत, काम से जी चुराना, तोड़फोड़, मार-पीट, उथला मनोरंजन, कामुकता, डेटिंग-सेटिंग, खतरनाक ड्रग जैसे अनुशासनहीनता, अपराध बोध और हिंसक प्रवृत्ति। लक्ष्यहीनता, पलायन, निराशा, धन का घमंड, गलतफहमी, शॉर्टकट कल्चर, बच्चों का बचपन और उनका भविष्य बर्बाद करना, उनके संरक्षक को शापित जीवन जीने के लिए मजबूर करना। लेकिन चिंता और घबराने की जरूरत नहीं है। केवल आपको हमेशा जागरूक रहना चाहिए और बच्चों को सही रास्ता दिखाना चाहिए, उनके बचपन को संजोना चाहिए और एक सुखद भविष्य बनाना चाहिए। यह पुस्तक आपकी पूरी मदद करेगी। इसमें बच्चों के बिगड़ने के कारणों और लक्षणों के बारे में बताया गया है, साथ ही उन्हें बिगड़ने से बचाने के लिए ठोस और व्यावहारिक उपाय भी सुझाए गए हैं।
Chunnilal Saluja
Chunnilal Saluja, an educationist and well-known writer in Sociology and Psychology has published nearly 1600 works in 33 years. He has been honoured by President's Medal and many other awards. Many books have been published by him with his wife Sheela Saluja.
Chunnilal Saluja
V & S Publishers