Europe Mein Darshanshastra : Marx Ke Baad (Hindi)

Author:

Deviprasad Chattopadhyay

,

Shankari Prasad Bandyopadhyay

,

Sushila Doval

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2022
ISBN-13

9789394902978

ISBN-10 939490297X
Binding

Paperback

Edition 1st
Number of Pages 112 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 21.5X14X1

‘दर्शनशास्त्र : पूर्व और पश्चिम’ शृंखला की इस छठी पुस्तक में यूरोपीय दर्शनशास्त्र के हेगेल और मार्क्स के बाद के इतिहास पर विचार किया गया है। एक प्रकार से यह विवेचन व्यवहार-केंद्रित होने की अपेक्षा विचार-केंद्रित अधिक है। दूसरे शब्दों में, मुख्य ध्यान इस सैद्धांतिक पक्ष पर है कि हेगेल के दर्शनशास्त्र का विकास आगे चलकर किस प्रकार हुआ और उस पर दर्शनशास्त्रियों की क्या प्रतिक्रियाएँ रहीं। मार्क्स के निरूपण के फलस्वरूप हेगेल के दर्शनशास्त्र का कायापलट हो गया था। कुछ और विचार भी सामने आए, जो अनिवार्यतया न तो हेगेल के दर्शनशास्त्र का विस्तार थे और न ही उस पर दर्शनशास्त्रियों की प्रतिक्रिया से उत्पन्न हुए थे। इस तरह के विचारों में परम विचारवाद, यथार्थवाद और इतालवी विचारवाद प्रमुख थे, जिनके प्रस्तोता ब्रैडले, रसल, मूर, क्रोचे, जांतील आदि दर्शनशास्त्री रहे हैं। विलियम जोंस, जॉन डेवी और अन्य दर्शनशास्त्रियों द्वारा प्रस्तुत व्यावहारिकतावाद और बर्गसाँ की विचारधारा इस काल के यूरोपीय दर्शनशास्त्र की अन्य विशेषताएँ हैं। ‘यूरोप में दर्शनशास्त्र : मार्क्स के बाद’ पुस्तक में इन सभी धाराओं और विचार-सरणियों का विस्तारपूर्वक विवेचन किया गया है।

Deviprasad Chattopadhyay

देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय (जन्म: 1918) ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से एम.ए., डी.लिट्. किया तथा मॉस्को एकेडेमी ऑफ साइंसेज से मानद डी.एससी. की उपाधि से सम्मानित हुए। वे जर्मन एकेडेमी ऑफ साइंसेज के अकादमीशियन तथा भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय फैलो भी रहे। काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च की शोध परियोजना ‘प्राचीन भारत में विज्ञान एवं टैक्नोलॉजी का इतिहास’ में अतिथि वैज्ञानिक के रूप में कार्य किया। उनके द्वारा लिखित और संपादित ग्रंथों की संख्या 40 से अधिक है, जिनमें से अनेक ग्रंथों का अनुवाद चीनी, रूसी, जर्मन, जापानी और अन्य विदेशी भाषाओं में हो चुका है। उनके कुछ महत्त्वपूर्ण प्रकाशन हैं: लोकायत, ह्वाट इज लिविंग एंड ह्वाट इज डेड इन इंडियन फिलॉसफी, इंडियन एथीज्श्म, साइंस एंड सोसायटी इन एनशिएंट इंडिया, इंडियन फिलॉसफी, हिस्ट्री ऑफ साइंस एंड टैक्नोलॉजी इन एनशिएंट इंडिया, द बिगिनिंग्स इत्यादि। निधन: 8 मई, 1993.

Shankari Prasad Bandyopadhyay

Sushila Doval

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