Prachin Bharat (Mukherji)

Author:

Radhakumud Mukherji

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2020
ISBN-13

9788171780822

ISBN-10 9788171780822
Binding

Hardcover

Number of Pages 184 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 x 14 x 4
Weight (grms) 340
स्वर्गीय प्रो. राधाकुमुद मुखर्जी ने भारतीय इतिहास के अनेक पक्षों पर अपनी लेखनी चलाई है, लेकिन खासतौर से प्राचीन संस्कृति, प्राचीन कला और धर्म तथा राजनीतिक विचार उनके अध्ययन और लेखन के महत्त्वपूर्ण क्षेत्र रहे हैं। प्रस्तुत पुस्तक में प्रो. मुखर्जी ने प्राचीन भारतीय इतिहास का परिचय सरल-सुबोध शैली में दिया है। प्रारम्भ में भारतीय इतिहास पर भूगोल के प्रभाव का विवेचन करते हुए उन्होंने इसकी मूलभूत एकता के तत्त्वों का आकलन किया है।

Radhakumud Mukherji

प्रो. मुखर्जी का जन्म बंगाल के एक शिक्षित परिवार में हुआ। प्रेजीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता से इतिहास तथा अंग्रेजी में एम.ए. की डिग्री लेने के बाद उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से पी-एच.डी. की डिग्री प्राप्त की। अपने शैक्षिक जीवन की शुरुआत उन्होंने अंग्रेजी के प्रोफेसर के रूप में की, लेकिन कुछ समय बाद ही वे इतिहास में चले गए और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में प्राचीन भारतीय इतिहास तथा संस्कृति के महाराजा सर मनीन्द्रचंद्र नंदी प्रोफेसर के रूप में नियुक्त हुए। इस पर वे केवल एक वर्ष रहे और उसके तुरंत बाद मैसूर विश्वविद्यालय में इतिहास के पहले प्रोफेसर नियुक्त हुए। सन् 1921 में उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय के इतिहास विभागाध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया और मृत्यु-पर्यंत वहीं बने रहे। सन् 1963 में 83 वर्ष की आयु में उनका देहांत हुआ। प्रो. राधाकुमुद मुखर्जी आजीवन प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन में लगे रहे और उन्होंने प्राचीन भारत के विभिन्न पक्षों पर विस्तृत एवं आलोचनात्मक शोध-निबंध लिखे। अपने अनेक ग्रंथों में उन्होंने निष्कर्षों तक पहुँचने से पहले सभी उपलब्ध स्रोतों और जानकारियों का भरपूर उपयोग किया। प्रमुख ग्रंथ: चन्द्रगुप्त मौर्य और उसका काल, अशोक, हर्ष, प्राचीन भारतीय विचार और विभूतियाँ, हिंदू सभ्यता, प्राचीन भारत, अखंड भारत, द गुप्त एंपायर, लोकल सेल्फ गवर्नमेंट इन एंशिएंट इंडिया, द हिस्ट्री ऑफ इंडियन शिपिंग एंड मैरीटाइम एक्टिविटी फ्रॉम द अर्लियस्ट टाइम्स, एंशिएंट इंडियन एजूकेशन, फंडामेंटल यूनिटी ऑफ इंडिया, नेशनलिज्म इन हिंदू कल्चर, ए न्यू एप्रोच टु कम्युनल प्रॉब्लम, नोट्स ऑन अर्ली इंडियन आर्ट, इंडियाज लैंड सिस्टम आदि।.
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