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Publisher | Rajkamal Parkashan Pvt Ltd |
Publication Year | 2014 |
ISBN-13 | 9788126726479 |
ISBN-10 | 8126726474 |
Binding | Paperback |
Number of Pages | 192 Pages |
Language | (Hindi) |
Dimensions (Cms) | 20 x 14 x 4 |
Weight (grms) | 210 |
मैंने जब होश सँभाला तो मैं सन् 1990 में अपने थियेटर ग्रुप 'एक्ट वन आर्ट ग्रुप, नई दिल्ली' की बाँहों में था। उससे पहले अगर कुछ याद है तो चंद उँगलियों पर गिने जाने वाले दोस्त जो एक हथेली में $खर्च हो जाएँगे, प्लस टू के बाद राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय दिल्ली में प्रवेश, सन् 1983 से 1986 तक वहाँ का प्रवास, 'हैमलेट', 'नेक्रासोव' और 'मैन इक्वल्स मैन', स्व. फ्रिट्ज बेनेविट्ज नाम के गुरु और श्री रंजीत कपूर और श्री नसीरुद्दीन शाह जैसे सम्मानित सीनियरों से मुलाकात, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल में 18 दिन की पेशेवर हवाखोरी, 1989 में मुंबई कूच और 1990 में दिल्ली वापसी। और उसके बाद 'एक्ट वन' से निकाह, उससे तलाक और फिर से निकाह| इस संकलन में मेरी व्यक्तिगत शायरी या सिनेमा के गीत नहीं हैं। ये सिर्फ मेरे थियेटर के गीत हैं जिनको संगीतबद्ध या कम्पोज़ किया जा चुका है| इस संकलन में ये अपने 'ओरिजिनल फार्म' में हैं और इन पर मुझसे ज़्यादा मेरे उन करोड़ों दोस्तों का हक है जिनकी बढ़ती हुई तादाद से मेरा खुदा भी मुझे नहीं बचा सकता। बहरहाल ये गीत उस दौर के नाम जिसमें मैंने बड़ा होना सीखा...। ...उन सबके नाम जिनको धोखा देकर मैंने ये जाना कि मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। ...उन सबके नाम जिनसे मिले धोखे ने मुझे मा$फी देने के महान गुण से परिचित कराया l
Piyush Mishra
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd