Radhakrishan
साहित्यकार राधाकृष्ण ने हिन्दी कथा साहित्य को शैली, स्वरूप और वस्तु की दृष्टि से एक नई और महत्त्वपूर्ण दिशा की ओर उन्मुख किया था। राधाकृष्ण की पहचान प्रेमचंद-धारा के एक लेखक के रूप में प्रेमचंद के जीवन-काल में बन चुकी थी। राधाकृष्ण 'राधाकृष्ण’ और 'घोष-बोस-बनर्जी-चटर्जी’ दो नामों से लिखा करते थे। घोष-बोस-बनर्जी-चटर्जी नाम से हास्य-व्यंग्य और राधाकृष्ण नाम से गंभीर एवं अन्य विधागत रचनाएँ। राधाकृष्ण की पहली कहानी 'सिन्हा साहब’ 1929 ई. की 'हिन्दी गल्प माला’ में प्रकाशित हुई थी। इसके बाद क्रमश: महावीर, संदेश, भविष्य, जन्मभूमि, हंस, माया, माधुरी, जागरण आदि प्रसिद्ध पत्रिकाओं में इनकी रचनाएँ प्रकाशित होती रहीं और देखते-देखते पूरे हिन्दी-जगत् में अप्रतिम कथाकार के रूप में प्रसिद्ध हो गये। इन्होंने महावीर, हंस, माया, संदेश, झारखंड, कहानी, आदिवासी आदि पत्रिकाओं का सम्पादन किया था। राधाकृष्ण का जन्म 18 सितम्बर, 1910 को राँची के एक मध्यवित्त परिवार में हुआ था। बाल्यावस्था में ही इनके पिता रामजतन लाल का निधन हो गया, अत: प्रारम्भिक जीवन बहुत कष्टपूर्ण रहा। स्कूली शिक्षा से अधिक इन्होंने जीवन की पाठशाला में अनुभव और ज्ञान अर्जित किया। राधाकृष्ण वस्तुत: स्वाध्याय और जन्मजात रचनात्मक प्रतिभा की उपज थे। प्रकाशित कृतियाँ : कहानी संग्रह—रामलीला, सजला, गल्पिका, गेंद और गोल, चन्द्रगुप्त की तलवार। उपन्यास—रूपान्तर, बोगस, सनसनाते सपने, इस देश को कौन जीत सकेगा, सपने बिकाऊ हैं,
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