Publisher |
VANI PRAKSHAN |
Publication Year |
2020 |
ISBN-13 |
9789389012965 |
ISBN-10 |
9789389012965 |
Binding |
Paperback |
Number of Pages |
160 Pages |
Language |
(Hindi) |
Dimensions (Cms) |
20X12.5X1 |
Weight (grms) |
172 |
यह सच्चे अर्थों में एक बेधड़क गवई का आत्मवृत्त है। ज्ञानी नाम के युवक का एक ऐसा ज़िन्दगीनामा जो उम्र की उस पहली बेखुदी तक पहुँचता है जहाँ फ़िल्मी गीतों की रूमानियत उसके सर चढ़कर बोलने लगती है। दुनिया की थली पर पहली पगथाप से लेकर होशोहवास सँभालने तक, एक ओर जहाँ इस किताब में ज्ञानी की उम्र का ज़ाती सफ़र है तो दूसरी ओर यह दास्तान गाँव देहात के जीवन की अंतरंग लीला प्रस्तुत करती है। राठ अंचल के वे बीहड़ चरित्र और वह अदेखा अपरिमित जीवन! दीवानगी और आरज़ओं से लबरेज एक रंगारंग गठरी जो ज्ञानी की जीवनयात्रा के साथ-साथ क्रमशः खुलती जाती है। यह आत्मकथा लोक-जीवन का एक ऐसा आख्यान है जो पर्दा चीरकर सच कहने की दुर्लभ साहसिकता के साथ-साथ एक उपन्यास का आह्पाट लिए हुए है।
Giyan Chand Bagri
ज्ञान चंद बागड़ी सम्प्रति : विगत 32 वर्ष से मानवशास्त्र और समाजशास्त्र का अध्ययन-अध्यापन।
Giyan Chand Bagri
VANI PRAKSHAN