Samudra Mein Khoya Hua Aadmi (Hindi)

Author:

Kamleshwar

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2015
ISBN-13

9788180319396

ISBN-10 8180319393
Binding

Paperback

Edition 1st
Number of Pages 124 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 22X14X1
Weight (grms) 176

“समुद्र में लापता हुए लोग भी बरसों बाद लौटकर आए हैं...” हरबंस उन्हें समझाने लगा—“बहुत बार समुद्रों में तूफ़ान आ जाते हैं। जहाज टूट जाते हैं। लोग समुद्र में खो जाते हैं...तैरते-तैरते वे अनजानी जगहों पर जा लगते हैं...” लेकिन बीरन न कहीं पहुँचा, न उसने किसी का दरवाज़ा खटखटाया, पहुँची सिर्फ़ उसके हमेशा के लिए विलीन हो जाने की ख़बर। अवाक् खड़ा रह गया, अपनी दैनंदिन चुनौतियों में उलझा-फँसा उसका परिवार। बीरन जिसे हमेशा अपने बाबूजी की बेबसी और मायूसी सताती रहती थी, जो कॉलेज के दिनों में शाम को ही अपनी ड्रेस धोकर सूखने के लिए डाल देता था, जूतों पर खड़िया फेर लेता था और जिसका भार, जिसकी मौजूदगी घर में किसी को महसूस नहीं होती थी, वही बीरन अपने बोझ से सबको मुक्त कर गया। मध्यवर्गीय जीवन के सफल चितेरे कमलेश्वर ने एक मार्मिक कथा के जरिए इस उपन्यास में दो समुद्रों की तरफ़ इशारा किए हैं—एक पानी का वह असीम सागर, जिसमें बीरन खो गया और दूसरा महानगर की ठंडी, उदासीन भीड़ का पराया समुद्र, जिसमें उसके पिता श्यामलाल और मासूम बहनें अपनी अलक्षित जिजीविषा के साथ तैरने की कोशिश करते रहे। आधुनिक सभ्यता के अथाह समुद्र में आज का मध्यवर्गीय व्यक्ति अपनी सीमाओं और विडम्बनाओं के साथ किस तरह लुप्त हो जाता है, यही इस उपन्यास का केन्द्रीय विषय है।

Kamleshwar

जन्म: 6 जनवरी, 1932 (मैनपुरी, उ.प्र.)। शिक्षा: एम.ए. (इलाहाबाद विश्वविद्यालय)। प्रकाशित रचनाएँ कहानी-संग्रह: राजा निरबंसिया और कस्बे का आदमी, मांस का दरिया, खोई हुई दिशाएँ, बयान, जॉर्ज पंचम की नाक, आजादी मुबारक, कोहरा, कितने अच्छे दिन, मेरी प्रिय कहानियाँ, मेरी प्रेम कहानियाँ। उपन्यास: एक सड़क: सत्तावन गलियाँ, डाक-बंगला, तीसरा आदमी, समुद्र में खोया हुआ आदमी, लौटे हुए मुसाफिर, काली आँधी, वही बात, आगामी अतीत, सुबह दोपहर शाम, एक और चन्द्रकान्ता, कितने पाकिस्तान, पति पत्नी और वह। समीक्षा: नई कहानी की भूमिका, नई कहानी के बाद, मेरा पन्ना, दलित साहित्य की भूमिका। नाटक: अधूरी आवाज, चारुलता, रेगिस्तान, कमलेश्वर के बाल नाटक। यात्रा-संस्मरण: खंडित यात्राएँ, अपनी निगाह में। आत्मकथ्य: जो मैंने किया, यादों के चिराग, जलती हुई नदी। सम्पादन: मेरा हमदम: मेरा दोस्त तथा अन्य संस्मरण, समानान्तर-1, गर्दिश के दिन, मराठी कहानियाँ, तेलगू कहानियाँ, पंजाबी कहानियाँ, उर्दू कहानियाँ। सम्मान: शलाका पुरस्कार, शिवपूजन सहाय शिखर सम्मान, साहित्य अकादमी पुरस्कार।.
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