Publisher |
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd |
Publication Year |
1989 |
ISBN-13 |
9788126709892 |
ISBN-10 |
9788126709892 |
Binding |
Paperback |
Number of Pages |
171 Pages |
Language |
(Hindi) |
Dimensions (Cms) |
22 X 14 X 1.5 |
‘जन नाट्य मंच’ के संस्थापक सदस्य और सुविख्यात युवा रंगकर्मी सफ़दर हाशमी की स्मृति से जुड़ी यह पुस्तक साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में एक अलग तरह का महत्त्व रखती है। एक ओर जहाँ इसमें सफ़दर के कुछ नुक्कड़ नाटक, नुक्कड़ नाटक सम्बन्धी कुछ आलेख, गीत, कविताएँ तथा उनसे किया गया एक साक्षात्कार शामिल हैं, वहीं दूसरी ओर साहित्य और रंगमंच से जुड़े कई महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों की क़लम से उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को विश्लेषित करनेवाले निबन्ध भी हैं। सफ़दर एक जुझारू संस्कृतिकर्मी थे और इसके लिए उन्होंने नुक्कड़ नाटक को न सिर्फ़ एक विधा के तौर पर अपनाया, बल्कि जनवादी आन्दोलनों के पक्ष में एक हथियार की तरह इस्तेमाल किया; उस पर सोचा, उसे रचा और फिर लाखों लोगों तक उसे ले गए। इसके माध्यम से उन्होंने वर्तमान दौर के अनेक ज्वलन्त सवालों और समस्याओं से सीधे-सीधे टकराते हुए उनके प्रति लाखों लोगों में एक नई वैचारिक जागरूकता और एक नया नज़रिया पैदा किया। वे एक ऐसे बुद्धिजीवी थे, जो हर पल कर्म में घटित होते हैं और अपनी गतिशीलता से हर उस ठहराव को तोड़ते हैं जिसके कारण जीवन में कहीं भी सड़ाँध पैदा होती है। वस्तुतः सफ़दर का सम्पूर्ण जीवन, कर्म और कृतित्व वर्तमान जनवादी संघर्षों के सन्दर्भ में अपूर्व प्रेरणाओं से भरा हुआ रहा और यह कृति उनके प्रखर ऊर्जावान व्यक्तित्व तथा असमय समाप्त कर दी गई उनकी अकूत रचनात्मक क्षमता का संक्षिप्त, किन्तु दस्तावेज़ी साक्ष्य प्रस्तुत करती है।
Safdar Hashmi
सफ़दर हाशमी
12 अप्रैल, 1954 को एक सुपरिचित कम्युनिस्ट परिवार में जन्म। प्रारम्भिक शिक्षा अलीगढ़ के एक स्कूल से। 1970 में नई दिल्ली स्थित कन्नड़ स्कूल से हायर सेकंडरी और 1975 में सेंट स्टीफ़न कॉलेज से अंग्रेज़ी में एम.ए.। कॉलेज शिक्षा के दौरान ही एस.एफ़.आई. और ‘इप्टा’ के सक्रिय सदस्य। 1973 में ‘इप्टा’ से अलग होकर मलयश्री राय आदि कुछ साथियों के सहयोग से ‘जन नाट्य मंच’ की स्थापना। 1979 में मलयश्री राय से विवाह।
मज़दूर वर्ग के क्रान्तिकारी लक्ष्यों के प्रति अगाध निष्ठा रखते हुए एक राष्ट्रव्यापी जनवादी सांस्कृतिक आन्दोलन की दिशा में काम। संस्कृतिकर्म की सुरक्षा के लिए कलाकारों और संस्कृतिकर्मियों को संगठित करने का लगातार प्रयास। ‘जन नाट्य मंच’ (‘जनम’) के गठन के बाद कई महत्त्वपूर्ण मंच नाटक प्रस्तुत किए और फिर देश-भर में नुक्कड़ नाटकों के नए आन्दोलन का सूत्रपात। इस दौरान ‘मशीन’, ‘औरत’, ‘हत्यारे’, ‘गाँव से शहर तक’, ‘अपहरण भाईचारे का’, ‘राजा का बाजा’, ‘मई दिवस’, ‘समरथ को नहिं दोष गुसाईं’, ‘जंग के ख़तरे’, ‘आया चुनाव तथा हल्ला बोल’ आदि 25 से अधिक लोकप्रिय नुक्कड़ नाटकों की रचना और उनके देशव्यापी प्रदर्शन। बच्चों के लिए भी दर्जन-भर से ज़्यादा नाटक। नुक्कड़ नाटकों और कई डॉक्यूमेंटरी फ़िल्मों के लिए गीत-रचना। अनेक सेमिनारों एवं कार्यशालाओं का आयोजन। पत्र-पत्रिकाओं के लिए रंगकर्म सम्बन्धी कई महत्त्वपूर्ण आलेख और सांस्कृतिक स्तम्भ-लेखन।
1 जनवरी, 1989 को साहिबाबाद की एक मज़दूर बस्ती में नुक्कड़ नाटक करते हुए फ़ासिस्ट ताक़तों के जानलेवा हमले का शिकार। 2 जनवरी, 1989 को नई दिल्ली में निधन।
Safdar Hashmi
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd