Pratinidhi Kahaniyan (Hindi)

Author:

Rajendra Singh Bedi

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Rs127 Rs150 15% OFF

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2017
ISBN-13

9788171789559

ISBN-10 8171789552
Binding

Paperback

Edition 4th
Number of Pages 142 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 21.5X14X1
Weight (grms) 150

तरक़्क़ीपसन्द उर्दू कथाकारों में राजेंद्रसिंह बेदी का नाम अत्यन्त आदर के साथ लिया जाता है। उनकी रचनाओं की संख्या कम ज़रूर है लेकिन ज़मीन बहुत बड़ी है। इस संग्रह में उनकी प्राय: सभी महत्त्वपूर्ण कहानियाँ शामिल हैं। इनसे जो सच्चाइयाँ उजागर हुई हैं, वे ज़िन्दगी को मात्र जी लेने से नहीं, उसमें कुछ तलाशने से ही सम्भव हैं। कहानी कहने के लिए बेदी के पास न तो बना-बनाया कोई साँचा है, न ही बुद्धिजीवी क़िस्म का कोई पूर्वग्रह। यही कारण है कि इन कहानियों से गुज़रते हुए हमारी अपनी संजीदगी बेदी की संजीदगी से एकमेक हो उठती है। उनकी अनुभवों की सच्चाई एक कलात्मक व्यवस्था के तहत हमारे भीतर उतर जाती है और शैली का संयम तथा भाषा की नज़ाकत हमें मुग्ध कर लेते हैं। अपनी कहानियों की नारी को बेदी ने रूह तक जानने और रचने की कोशिश की है। इसलिए कल्याणी, लाजवन्ती, कीर्ति और इन्दु जैसे जीवन्त नारी-चरित्र पाठकों के दिलो-दिमाग़ पर सदा-सदा के लिए नक़्श हो जाने की क्षमता से परिपूर्ण हैं।

Rajendra Singh Bedi

राजेंद्रसिंह बेदी जन्म: लाहौर, 1 सितम्बर, 1915। शिक्षा: डी.ए.वी. कॉलेज से इंटरमीडिए। 1932 में छात्रावस्था में मोहसिन लाहौरी के नाम से अंग्रेजी, उर्दू और पंजाबी में नज़्में और कहानियाँ लिखीं। विवाह: 1934 में, 19 वर्ष की अवस्था में, सोमवती से। नौकरी: 1932 से लाहौर डाकखाने में क्लर्की और 1943 में त्यागपत्र। फिर छह माह तक दिल्ली में सरकार के प्रचार विभाग में नौकरी। इसके बाद ऑल इंडिया रेडियो, लाहौर में आर्टिस्ट के रूप में नियुक्ति। 1948 में दिल्ली आ गए। इसके पहले 1946 में खुद का प्रकाशनगृह चलाने की नाकाम कोशिश। 1949 में बंबई चले गए जहाँ जीवन के अनत तक फिल्मों से जुड़े रहे। पुरस्कार: साहित्य अकादमी पुरस्कार, मोदी ग़ालिब पुरस्कार, और अनेक राज्यों के विशिष्ट पुरस्कारों से सम्मानित। भारत सरकार द्वारा ‘पद्मश्री’ की उपाधि से विभूषित। मृत्यु: फ़ालिज़ के दूसरे हमले के बाद 12 सितम्बर, 1984 को।
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