Lokwadi Tulsidas

Author:

Vishwanath Tripathi

Publisher:

RADHAKRISHAN PRAKASHAN PVT. LTD

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Publisher

RADHAKRISHAN PRAKASHAN PVT. LTD

Publication Year 2022
ISBN-13

9789391950989

ISBN-10 9391950981
Binding

Paperback

Number of Pages 158 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 22 X 14 X 1

कई लोगों का ख़याल है कि तुलसी की लोकप्रियता का कारण यह है कि हमारे देश की अधिकांश जनता धर्म-भीरु है। और क्योंकि तुलसी की कविता भक्ति का प्रचार करती है, इसलिए वह इतनी लोकप्रिय और प्रचलित है।लेकिन इस पुस्तक के लेखक का तर्क है कि सभी भक्त-कवि तुलसी-जैसे लोकप्रिय नहीं हैं। यदि धर्मभीरुता ही लोकप्रियता का आधार होती तो नाभादास, अग्रदास, सुन्दरदास, नन्ददास आदि भी उतने ही लोकप्रिय होते।वे इस पुस्तक में बताते हैं कि तुलसीदास की लोकप्रियता का कारण यह है कि उन्होंने अपनी कविता में अपने देखे हुए जीवन का बहुत गहरा और व्यापक चित्रण किया है। उन्होंने राम के परम्परा-प्राप्त रूप को अपने युग के अनुरूप बनाया है। उन्होंने राम की संघर्ष-कथा को अपने समकालीन समाज और अपने जीवन की संघर्ष-कथा के आलोक में देखा है। उन्होंने वाल्मीकि और भवभूति के राम को पुन: स्थापित नहीं किया है, बल्कि अपने युग के नायक राम को चित्रित किया है।तुलसी की लोकप्रियता का कारण यह है कि यथार्थ की विषमता से देश को उबारने की छटपटाहट उनकी कविता में है। देश-प्रेम इस विषमता की उपेक्षा नहीं कर सकता। इसीलिए तुलसी दैहिक, दैविक, भौतिक तापों से रहित राम-राज्य का स्वप्न निर्मित करते हैं। यही उनकी कविता की नैतिकता और प्रगतिशीलता है।

Vishwanath Tripathi

विश्वनाथ त्रिपाठी जन्म: 16 फरवरी, 1931, जिला बस्ती (अब सिद्धार्थनगर) के बिस्कोहर गाँव में। पिता: श्री तेज बहादुर तिवारी। माता: श्रीमती सिरताजी देवी। 13 जुलाई, 1956 को श्रीमती माहेश्वरी त्रिपाठी से विवाह। शिक्षा: पहले गाँव में, फिर बलरामपुर कस्बे में, उच्च शिक्षा कानपुर और वाराणसी में। पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से पी-एच.डी.। कृतियाँ: प्रारम्भिक अवधी, हिन्दी आलोचना, हिन्दी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास, लोकवादी तुलसीदास, मीरा का काव्य, देश के इस दौर में (परसाई केन्द्रित), कुछ कहानियाँ: कुछ विचार, पेड़ का हाथ (केदारनाथ अग्रवाल केन्द्रित), जैसा कह सका (कविता संकलन), नंगातलाई का गाँव (स्मृति-आख्यान), व्योमकेश दरवेश (आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी का पुण्य स्मरण)। सम्पादन: आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के साथ अद्दहमाण (अब्दुल रहमान) के अपभ्रंश काव्य ‘संदेश रासक’ का सम्पादन, कविताएँ 1963, कविताएँ 1964, कविताएँ 1965 (तीनों अजित कुमार के साथ), हिन्दी के प्रहरी: रामविलास शर्मा (अरुण प्रकाश के साथ)। सम्मान: गोकुलचन्द्र शुक्ल आलोचना पुरस्कार, डॉ. रामविलास शर्मा सम्मान, सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार, हिन्दी अकादमी का साहित्यकार सम्मान। सम्पर्क: बी.-5, एफ-2, दिलशाद गार्डन, दिल्ली-45 फोन: 011-22581418
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