Publisher |
Diamond Books |
Publication Year |
2020 |
ISBN-13 |
9789351658054 |
ISBN-10 |
9789351658054 |
Binding |
Paperback |
Number of Pages |
232 Pages |
Language |
(Hindi) |
Weight (grms) |
100 |
विश्व में अनेक संस्कृतियों का विकास हुआ और समय के साथ वह विलीन भी हो गयीं। भारतीय संस्कृति विश्व की अत्यन्त प्राचीन और श्रेष्ठ संस्कृति है। यह लौकिकता, अधिभौतिकता और भोगवाद के बजाय आध्यात्मवाद और आत्मतत्व की भावना पर केन्द्रित है, जिसका मूल लक्ष्य शान्ति, सहिष्णुता, एकता, सत्य, अहिंसा और सदाचरण जैसे मानवीय मूल्यों की स्थापना करके समस्त विश्व की आध्यात्मिक उन्नति करना है। इसमें सब के सुख के लिये, सबके हित में कार्य करने के उद्देश्य के साथ समस्त विश्व को अपना परिवार मानने की भावना अन्तर्निहित है। यही वजह है कि अपने सांस्कृतिक और जीवन मूल्यों के बल पर भारतीय संस्कृति हजारों-हजार वर्षों बाद भी अपने मूलरूवरूप में विद्यमान रहकर अक्षुण बनी हुई है। स्वछन्दता और स्वार्थान्धता से अलग इसमें न्याय, उदारता, परहित और त्याग जैसे चारित्रिक गुणों के आधार पर आदर्श जीवन जीने और विश्व मानव को एक सूत्र में बाँधने की शक्ति है। सही मायनों में भारतीय संस्कृति मनुष्य जीवन को सार्थक करने का मूलमंत्र है। भारतीय संस्कृति की मान्यतायें और परम्परायें किसी न किसी वैज्ञानिक आधार पर प्रतिस्थापित हैं, जो आज के कम्प्यूटर युग में भी पूर्णरूप से वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर तर्कसंगत हैं और खरी उतरती हैं। इसमें अनगिनत विशेषतायें हैं। यह ऐसे मोतियों का महासागर है जिसे एक पुस्तक में समेटना सम्भव नहीं है, तथापि ऐसे ही कुछ मोतियों को पिरोकर इस पुस्तक रूपी माला में प्रस्तुत किया गया है।
Ramesh Pokhriyal
Diamond Books