जूठन-1 आज़ादी के पाँच दशक पूरे होने और आधुनिकता के तमाम आयातित अथवा मौलिक रूपों को भीतर तक आत्मसात कर चुकने के बावजूद आज भी हम कहीं-न-कहीं सवर्ण और अवर्ण के दायरों में बँटे हुए हैं। सिद्धान्तों और किताबी बहसों से बाहर, जीवन में हमें आज भी अनेक उदाहरण मिल जाएँगे जिनसे हमारी जाति और वर्णगत असहिष्णुता स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है। ‘जूठन’ ऐसे ही उदाहरणों की शृंखला है जिन्हें एक दलित व्यक्ति ने अपनी पूरी संवेदनशीलता के साथ खुद भोगा है। इस आत्मकथा में लेखक ने स्वाभाविक ही अपने उस ‘आत्म’ की तलाश करने की कोशिश की है जिसे भारत का वर्ण-तंत्र सदियों से कुचलने का प्रयास करता रहा है, कभी परोक्ष रूप में, कभी प्रत्यक्षतः। इसलिए इस पुस्तक की पंक्तियों में पीड़ा भी है, असहायता भी है, आक्रोश और क्रोध भी और अपने आपको आदमी का दर्जा दिए जाने की सहज मानवीय इच्छा भी।
Omprakash Valmiki
जन्म: 30 जून, 1950, बरला, जिला मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश। शिक्षा: एम.ए. (हिन्दी साहित्य)। प्रकाशित कृतियाँ: सदियों का संताप, बस्स ! बहुत हो चुका, अब और नहीं, शब्द झूठ नहीं बोलते, चयनित कविताएँ (कविता संग्रह); जूठन (आत्मकथा) अंग्रेजी, जर्मन, स्वीडिश, पंजाबी, तमिल, मलयालम, कन्नड़, तेलगू में अनूदित एवं प्रकाशित; सलाम, घुसपैठिए अम्मा एंड अदर स्टोरीज, छतरी (कहानी संग्रह), दलित साहित्य का सौन्दर्यशास्त्र, मुख्यधारा और दलित साहित्य, दलित साहित्य: अनुभव, संघर्ष और यथार्थ (आलोचना), सफाई देवता (सामाजिक अध्ययन)। अनुवाद: सायरन का शहर (अरुण काले) कविता संग्रह का मराठी से हिन्दी में अनुवाद, मैं हिन्दू क्यों नहीं (कांचा एलैया) की अंग्रेजी पुस्तक का हिन्दी में अनुवाद, लोकनाथ यशवन्त की अनेक मराठी कविताओं का हिन्दी में अनुवाद। अन्य: लगभग 60 नाटकों में अभिनय एवं निर्देशन, विभिन्न नाट्य दलों द्वारा ‘दो चेहरे’ का मंचन, ‘जूठन’ के नाट्य रूपान्तरण का अनेक नगरों में मंचन; अनेक राष्ट्रीय सेमिनारों में हिस्सेदारी, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ में पुनश्चर्या पाठ्यक्रम में अनेक व्याख्यान, अनेक विश्वविद्यालयों, पाठ्यक्रमों में रचनाएँ शामिल, प्रथम हिन्दी दलित साहित्य सम्मेलन, 1993, नागपुर के अध्यक्ष, 28वें अस्मितादर्श साहित्य सम्मेलन, 2008, चन्द्रपुर, महाराष्ट्र के अध्यक्ष, भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, राष्ट्रपति निवास, शिमला सोसाइटी के सदस्य। पुरस्कार/सम्मान: डॉ. अम्बेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार, 1993; परिवेश सम्मान, 1995; जयश्री सम्मान, 1996; कथाक्रम सम्मान, 2001; न्यू इंडिया बुक पुरस्कार, 2004; साहित्य भूषण सम्मान 2006; 8वाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन, 2007, न्यूयॉर्क, अमेरिका सम्मान, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का सम्मान । निधन: 17 नवम्बर, 2013.
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