Andher Nagari

Author:

Bhartendu Harishchandra

,

Parmanand Shrivastva

Publisher:

LOKBHARTI PRAKASHAN

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Publisher

LOKBHARTI PRAKASHAN

Publication Year 2017
ISBN-13

9789386863287

ISBN-10 9789386863287
Binding

Hardcover

Number of Pages 64 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 x 14 x 4
Weight (grms) 130
प्रस्तुत पुस्तक 'अंधेर नगरी' भारतेंदु ने बनारस में नेशनल थियेटर के लिए एक दिन में सन 1881 में लिखा था जो काशी के दशाश्वमेघ घाट पर उसी दिन अभिनीत भी हुआ । 'अंधेर नगरी' को रोचक विनोदपूर्ण बनाने के लिए उसका कथात्मक ढाँचा सादा सामान्य रखा है पर व्यंग्य को तीव्रतर बनाने के लिए जरूरी संकेत पहले दृश्य से ही दिये हैं । 'अंधेर नगरी' अंग्रेज राज्य का ही दूसरा नाम है । संवाद व्यंग्यपूर्ण अभिप्रायमूलक है । समूचा प्रकरण तमाशा जैसा ही है । क्योंकि 'अंधेर नगरी' की अंधेरगर्दी जिस हास्यास्पद परिणति तक दिखायी गयी है वह अकल्पनीय या अविश्वसनीय होते हुए भी यथार्थ के निकट है ।.

Bhartendu Harishchandra

हिंदी साहित्य के जन्मदाता और भारतीय नावेत्थान के प्रतीक भारतेंदु हरिश्चन्द्र का जन्म 1850 ई. में हुआ । शिक्षा क्वींस कॉलेज बनारस से हुई । बाद में स्वाध्याय से हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी के अतिरिक्त मराठी, बांग्ला, गुजराती, मारवाड़ी, पंजाबी, उर्दू इत्यादि भारतीय भाषाओँ का ज्ञान अपनी प्रतिभा के बल पर अर्जित किया है । भारतेंदु हरिश्चन्द्र ने देश और हिंदी भाषा तथा साहित्य की जो सेवा की वह चिरस्मरणीय रहेगी । उनकी नाटकीय रचनाएँ तीन भागों में विभक्त की जा सकती है - अनूदित, मौलिक तथा अपूर्ण जो सामाजिक, धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक, राष्ट्रीय एवं राजनीतिक विषयों पर आधारित है । सन 1880 ई. में पं. रघुनाथ पं. सुधाकर द्विवेदी, पं. रामेश्वरदत्त व्यास आदि के प्रस्तावनुसार उन्हें भारतेंदु की पदवी से विभूषित किया गया । 6 जनवरी 1885 ई. को चौंतीस वर्ष की अल्पायु में देहांत हो गया ।.

Parmanand Shrivastva

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