Pratinidhi Kahaniyan

Author:

Mithileshwar

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Rs99

Availability: Available

    

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2012
ISBN-13

9788171786459

ISBN-10 9788171786459
Binding

Paperback

Number of Pages 146 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 x 14 x 4
Weight (grms) 118
जाने-माने कथाकार मिथिलेश्वर हिन्दी कथा-साहित्य में एक अलग महत्त्व रखते हैं । प्रेमचंद और रेणु के बाद हिन्दी कहानी से जिस गाँव को निष्कासित कर दिया गया था, अपनी कहानियों में मिथिलेश्वर ने उसी की प्रतिष्ठा की है । दूसरे शब्दों में, वे ग्रामीण यथार्थ के महत्त्वपूर्ण कथाकार हैं और उन्होंने आज की कहानी को संघर्षशील जीवन-दृष्टि तथा रचनात्मक सहजता के साथ पुन: सामाजिक बनाने का कार्य किया है । इस संग्रह में शामिल उनकी प्राय: सभी कहानियाँ बहुचर्चित रही हैं । ये सभी कहानियाँ वर्तमान ग्रामीण जीवन के विभिन्न अन्तर्विरोधों को उद्‌घाटित करती हैं, जिससे पता चलता है कि आजादी के बाद ग्रामीण यथार्थ किस हद तक भयावह और जटिल हुआ है । बदलने के नाम पर गरीब के शोषण के तरीके बदले हैं और विकास के नाम पर उनमें शहर और उसकी बहुविध विकृतियां पहुँची हैं । निस्सन्देह इन कहानियों में लेखक ने जिन जीवन-स्थितियों और पात्रों का चित्रण किया है, वे हमारी जानकारी में कुछ बुनियादी इजाफा करते हैं और उनकी निराडंबर भाषा-शैली इन कहानियों को और अधिक सार्थक बनाती हैं ।

Mithileshwar

जन्म: 31 दिसम्बर 1950, बिहार के भोजपुर जिला के बैसाडीह गाँव में। शिक्षा: एम.ए., पी-एच.डी. (हिन्दी)। प्रकाशन: बाबूजी (1976), बन्द रास्तों के बीच (1978), दूसरा महाभारत (1979), मेघना का निर्णय (1980), मिथिलेश्वर की श्रेष्ठ कहानियाँ (1980), गाँव के लोग (1981), तिरिया जनम (1982), विग्रह बाबू (1982), हरिहर काका (1983), जिन्दगी का एक दिन (1983), छह महिलाएँ (1984), माटी की महक, धरती गाँव की (1986), एक में अनेक (1987), प्रतिनिधि कहानियाँ (1989), एक थे प्रो. बी. लाल (1993), भोर होने से पहले (1994), चर्चित कहानियाँ (1994) कहानी-संग्रह; झुनिया (1980), युद्धस्थल (1981), प्रेम न बाड़ी ऊपजै (1995) उपन्यास; सृजन की जमीन निबन्ध-संग्रह; उस रात की बात (1993), एक था पंकज (यंत्रस्थ), बालोपयोगी पुस्तकें। सम्मान: बाबूजी के लिए म.प्र. साहित्य परिषद् का अखिल भारतीय मुक्तिबोध पुरस्कार, बन्द रास्तों के बीच के लिए सोवियत लैण्ड नेहरू पुरस्कार, मेघना का निर्णय के लिए उ.प्र. हिन्दी संस्थान का यशपाल पुरस्कार, निखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन का अमृत पुरस्कार तथा नागरी प्रचारिणी सभा का साहित्य मार्तण्ड सम्मान। सम्प्रति: प्राध्यापक, हिन्दी विभाग, एच.डी. जैन कॉलेज, आरा (बिहार)। सम्पर्क: महाराज हाता, आरा-802301 (बिहार)
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