Publisher |
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd |
Publication Year |
2016 |
ISBN-13 |
9788126729579 |
ISBN-10 |
9788126729579 |
Binding |
Paperback |
Number of Pages |
104 Pages |
Language |
(Hindi) |
Dimensions (Cms) |
20 x 14 x 4 |
Weight (grms) |
140 |
भाग्य-रेखा ' भीष्म साहनी का पहला कहानी- संग्रह है, जिसके साथ उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में कदम रखा था । वर्ष 1953 में प्रकाशित इस संग्रह ने उन्हें साहित्य-संसार में अपनी एक पहचान दी; जिसके माध्यम से हिन्दी समाज ने कथा में सहज प्रवाह की शक्ति को महसूस किया । भीष्म जी की कहानियों का ' मैं ' भी कभी लेखक के प्रतिनिधि होने का आभास नहीं देता, पात्रों और उनके यथार्थ के साथ उनकी इस एकात्मता को, जो शायद बहुत गहरी तटस्थता से ही सधती होगी बहुत कम लेखकों में चिह्नित किया जा सकता है । इस संग्रह में कई ऐसी कहानियाँ हैं जो भीष्म जी के गहरे मानवीय बोध को चिह्नित करती हैं और कुछ ऐसी हैं जो समकालीन समाज की अमानवीयता के प्रति पूणा का भाव भी पाठक के मन में जगाती हैं । उदाहरण के लिए ' क्रिकेट मैच ' जिसमें पति-पत्नी सम्बन्धों के बीच आया दुराव इतने कौशल के साथ उभारा गया है कि बहुत कुछ न कहते हुए भी कहानी हमें घर-परिवार को बचाए-बनाए रखनेवाली स्त्री- भूमिका के प्रति आलोचनात्मक हो जाने को प्रेरित करती है । ' नीली आँखें ' हाशिये पर रहनेवाले तबके के प्यार और शहरी पृष्ठभूमि में उसके प्रति असहिष्णु मध्यवर्गीय नजरिये को बेहद कारुणिक रूप में व्यक्त करती है । कहने की आवश्यकता नहीं कि भीष्म साहनी को चाहने वाले पाठक इस संग्रह को अमूल्य पाएँगे ।
Bhishm Sahni
जन्म : 8 अगस्त, 1915 को रावलपिंडी (पाकिस्तान) में।
शिक्षा : हिन्दी-संस्कृत की प्रारम्भिक शिक्षा घर में। स्कूल में उर्दू और अंग्रेजी। गवर्नमेंट कॉलेज, लाहौर से अंग्रेजी साहित्य में एम.ए., फिर पंजाब विश्वविद्यालय से पी-एच.डी.।
बँटवारे से पूर्व थोड़ा व्यापार, साथ-ही-साथ मानद (ऑनरेरी) अध्यापन। बँटवारे के बाद पत्रकारिता, इप्टा नाटक मंडली में काम, बंबई में बेकारी। फिर अम्बाला में एक कॉलेज में तथा खालसा कॉलेज, अमृतसर में अध्यापन। तत्पश्चात् स्थायी रूप से दिल्ली विश्वविद्यालय के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज में साहित्य का प्राध्यापन। इस बीच लगभग सात वर्ष 'विदेशी भाषा प्रकाशन गृह’, मॉस्को में अनुवादक के रूप में कार्य। अपने इस प्रवासकाल में उन्होंने रूसी भाषा का यथेष्ट अध्ययन और लगभग दो दर्जन रूसी पुस्तकों का अनुवाद किया। करीब ढाई साल 'नई कहानियाँ’ का सौजन्य-सम्पादन। प्रगतिशील लेखक संघ तथा अफ्रो-एशियाई लेखक संघ से सम्बद्ध।
Bhishm Sahni
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd