Publisher |
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd |
Publication Year |
2020 |
ISBN-13 |
9789389598179 |
ISBN-10 |
9789389598179 |
Binding |
Paperback |
Number of Pages |
168 Pages |
Language |
(Hindi) |
Dimensions (Cms) |
20 x 14 x 4 |
Weight (grms) |
180 |
केदारनाथ सिंह के कविता-कर्म में प्रकृति और पर्यावरण की उपस्थिति बरगद की जड़ों की तरह इतनी गहरी और विस्तीर्ण है कि उनकी कुछेक कविताओं को पर्यावरण-केन्द्रित कहना अन्याय होगा। उनकी कई ऐसी कविताएँ जो आपाततः प्रकृति और पर्यावरण की परिधि से बाहर दिखती हैं, लोक और प्रकृति के ताने-बाने को अन्तःसलिला की तरह समेटकर रखती हैं। उनकी पर्यावरण सम्बन्धी कविताओं का चयन दुष्कर तो है ही, कइयों को ग़ैरज़रूरी भी लग सकता है। यह भी हो सकता है कि इस तरह के चयन में ऐसी कई कविताएँ छूट जाएँ जिनमें प्रकृति और पर्यावरण की चिन्ता थोड़े भिन्न स्वरूप में मौजूद है। इस चयन का उद्देश्य केदारनाथ सिंह की ऐसी कविताओं को एक स्थान पर दर्ज करना है, जिनमें प्रकृति और पर्यावरण या तो चरित्र-नायक की तरह या स्थापत्य के स्तर पर अधिक प्रदीप्त हैं। आज पूरा विश्व जिस तरह से पर्यावरण संकट से गुज़र रहा है, यह चिन्ता का विषय है। यह चिन्ता जब कवि की चिन्ता बन जाती है तो जीवन के संकट का प्रश्न बन जाती है क्योंकि कवि पूरी पृथ्वी का नागरिक होता है। पृथ्वी की सभी आहटें उसकी बंसी के सुर बन जाती हैं। ऐसे विषय जब लेखन में आते हैं तो अक्सर बेसुरे हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में कविताएँ सुरसाधक-शब्दसाधक की तरह आपका सन्तुलन बनाए रखती हैं। पर्यावरणीय दृष्टि से केदारनाथ सिंह की कविताओं के चयन का यह सम्भवत: पहला प्रयास है। इससे कवि के दृष्टि-विस्तार को समझने और ऐसे विषयों को भाषा में बरतते हुए ज़रूरी संवेदनशील बिन्दुओं को उजागर करने में कुछ सहायता अवश्य मिलेगी, ऐसी उम्मीद है। साथ ही, कवि के कुछ अनचीन्हे बिन्दुओं को भी रेखांकित किया जा सकेगा।
Kedarnath Singh
केदारनाथ सिंह का जन्म सन् 1934 में बलिया, उत्तर प्रदेश के चकिया गाँव में हुआ। आधुनिक हिन्दी कविता में बिम्बविधान विषय पर सन् 1964 में पीएच.डी.।
सन् 1976 से 1999 तक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के भारतीय भाषा केन्द्र में अध्यापन।
प्रकाशित कृतियाँ : अभी, बिलकुल अभी, ज़मीन पक रही है, यहाँ से देखो, अकाल में सारस, उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ, तालस्ताय और साइकिल, बाघ, सृष्टि पर पहरा, मतदान केन्द्र पर झपकी, प्रतिनिधि कविताएँ (काव्य-संग्रह)। कल्पना और छायावाद, आधुनिक हिन्दी कविता में बिम्बविधान, मेरे समय के शब्द, कब्रिस्तान में पंचायत (गद्य-कृतियाँ) तथा मेरे साक्षात्कार (संवाद)
Kedarnath Singh
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd