Pratinidhi Kahaniyan (Hindi)

Author:

Ramdarash Mishra

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2022
ISBN-13

9789394902381

ISBN-10 9394902384
Binding

Paperback

Edition 1st
Number of Pages 143 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 18X12X1
Weight (grms) 200

रामदरश मिश्र की कहानियों का व्यास चौड़ा है। उनकी चिन्ताओं का छोर व्यापक है। किन्तु जिस एक बात को उन्होंने आज तक सर्वाधिक तरजीह दी है, वह है कहानियों की पठनीयता। वे प्रेमचन्द और रेणु के बाद की पीढ़ी के ग्रामीण रचनाकार हैं सो वे ग्रामीण भारत की समस्याओं को नहीं भूलते, अपने इलाके का दर्द नहीं भूलते। वहाँ का सामन्ती आचरण, दरिद्रता, गरीबी, मान-अपमान, अहं में जी रहा सवर्ण समुदाय, भूखे रहने पर विवश दलित और वंचित—सब उनकी निगाह में हैं। उनकी कहानियाँ इन सभी मुद्दों को उठाती हैं। जिस लहज़े में ‘राग दरबारी’ में श्रीलाल शुक्ल ने लिखा है, यहाँ से भारतीय देहात का महासागर शुरू होता है, वह महासागर रामदरश जी के कथा संसार में लहराता मिलता है। कितने आन्दोलन उनके सामने से होकर गुजरे, पर वे उस शोर-शराबे के बीच भी अनुभव, बोध और रूपबन्ध के स्तर पर वैविध्यपूर्ण कहानियाँ लिखते रहे और आज भी उसी त्वरा के साथ विभिन्न विधाओं को अपनी रचनात्मकता से समृद्ध कर रहे हैं। प्रतिनिधि कहानियाँ में सम्मिलित कथा संसार उनकी इसी बहुवस्तुस्पर्शिता का परिचायक है।
—ओम निश्चल

Ramdarash Mishra

रामदरश मिश्र का जन्म 15 अगस्त, 1924 को गोरखपुर जिले के डुमरी गाँव में हुआ। इनके काव्य हैं - पथ के गीत, बैरंग-बेनाम चिट्ठियाँ, पक गई है धूप, कन्धे पर सूरज, दिन एक नदी बन गया, मेरे प्रिय गीत, बाजार को निकले हैं लोग, जुलूस कहाँ जा रहा है?, रामदरश मिश्र की प्रतिनिधि कविताएँ, आग कुछ नहीं बोलती, शब्द सेतु, बारिश में भीगते बच्चे, हँसी ओठ पर आँखें नम हैं (ग़ज़ल), ऐसे में जब कभी, आम के पत्ते, तू ही बता ऐ ज़िन्दगी, हवाएँ साथ हैं, कभी-कभी इन दिनों, धूप के टुकड़े, आग की हँसी। इनके उपन्यास हैं - पानी के प्राचीर, जल टूटता हुआ, सूखता हुआ तालाब, अपने लोग, रात का सफर, आकाश की छत, आदिम राग, बिना दरवाजे का मकान, दूसरा घर, थकी हुई सुबह, बीस बरस, परिवार, बचपन भास्कर का। इनके कहानी संग्रह हैं - खाली घर, एक वह, दिनचर्या, सर्पदंश, बसन्त का एक दिन, इकसठ कहानियाँ, मेरी प्रिय कहानियाँ, अपने लिए, चर्चित कहानियाँ, श्रेष्ठ आंचलिक कहानियाँ, आज का दिन भी, एक कहानी लगातार, फिर कब आएँगे?, अकेला मकान, विदूषक, दिन के साथ, मेरी कथा-यात्रा। इनके ललित निबन्ध हैं - कितने बजे हैं, बबूल और कैक्टस, घर परिवेश, छोटे-छोटे सुख। इनकी आत्मकथाएँ हैं - सहचर है समय, फुरसत के दिन। इनका यात्रावृत्त है - घर से घर तक देश यात्रा। इनकी डायरी हैं - आते-जाते दिन, आस-पास, बाहर-भीतर। 11 पुस्तकों पर समीक्षा लिखी है और 14 खंडों में इनकी रचनावली प्रकाशित हो चुकी है।
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