Publisher |
Clever Fox Publishing |
Publication Year |
2023 |
ISBN-13 |
9789356483583 |
ISBN-10 |
9356483582 |
Binding |
Paperback |
Language |
(Hindi) |
Dimensions (Cms) |
22 X 14X 1.5 |
Weight (grms) |
500 |
* जिससे आगे होगा सामना ,है भाव अनसुने अनोखी कामना * कहानी पारंपरिक श्रेणी से है अलग थलग ,यदि पचा सको तो थाम लो पलक. * कहानी है सन दो हज़ार पचास की एक एकांकी लड़के और मानवो के विकास की * परजीवियों से प्रत्यक्ष हो गई है मुलाकात ,विज्ञान के हाथ लग गया उनका देह गात * अब उसे खरोच खरोच क्या पते है ,बनाते सुधा य पीड़ा बरसाते है *दीप बैठा है घरभितर की दिवार सुखारी ,उसको क्या काम परजीवी के अनुसन्धान हो भारी , *दीप वैसे हम सब में है बसता ,यदि आप भूल जाओ ,वर्षो जग का रस्ता *तो,,वैसे कल्पना हम सब ही करते ,मन चाहा रूप दे उसे सवरते *एकांकी के मन को कल्पना तो सेहलाती ,और करे भी क्या जो दूर हो प्यारे साथी *कल्पना को मिथ्या मान के करता मन वन में विहार,मन चाहे रूप में देखता जीता वो अपना प्यार *शुन्य ही दिखता है इस सुख का सबको दाम, पर कंकर बन जाती चट्टान, जो विधाता हो बाम * उसका सुख है दूर खड़े तूफ़ान की शांति ,क्या उसके मुख सुनोगे कैसे बरसी गरजाति कांति * ये कल्पनाए अपना दाम समझाएंगी ,उसके जीवन में व्यंग अनचाहे रंग बिखराएंगी * ये वैज्ञानिक अनुसन्धान ,सुखसे भरी कल्पना तमाम * कैसे बदलती सुख की छाया को धूप ,कंही है ख़ुशी कंही, आश्चर्य उफनता कूप * काव्य से सजा कंहि प्रेम है अनूप ,रामायण का भी दीखता इसमे स्वरुप * भूमिका मे है विभीषन जी ,अतुल्य भक्त लंका धनी * है लहू पीड़ा और कदराता मन ,अचरज में सुख कुछ पल में अगन ,थोड़ी गलबाहीं धर्म भव भंजन, फूल कीचड़ वर्षा पक्षी खंजन,कुछ अनसुने भाव कभी राज में कंजन होंगे शब्द मेरे आपकी कल्पना में व्यंजन , थोड़ी कोशिश की काव्य से हो मन रंजन if you are willing should i start the engine.
Deep Sahay
Clever Fox Publishing