Alice Ekka Ki Kahaniyan (Hindi)

Author:

Vandana Tete

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Rs127 Rs150 15% OFF

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2023
ISBN-13

9788196148775

ISBN-10 8196148771
Binding

Paperback

Edition 2nd
Number of Pages 104 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20X14X2
Weight (grms) 100

एलिस एक्का की कहानियों का ऐतिहासिक महत्त्व हैं—न केवल हिन्दी साहित्य के इतिहास की दृष्टि से बल्कि समसामयिक अस्मितामूलक विमर्शों की दृष्टि से भी। वे देश की और हिन्दी भाषा की पहली आदिवासी कहानीकार हैं। हिन्दी साहित्य के इतिहास में किसी आदिवासी स्त्री रचनाकार का उल्लेख अनुपस्थित है। निश्चय ही इसकी वजह साहित्येतिहासकारों और अध्येताओं की अपनी सीमा रही है। लेकिन एलिस एक्का की कहानियों के रूप में हिन्दी साहित्य के इतिहास का एक ओझल पृष्ठ अब हमें सुलभ हो गया है। जो विचार-विमर्श की नई जमीन मुहैया कराता है। एलिस की कहानियों में आदिवासी जीवनदर्शन सुस्पष्ट तरीके से अभिव्यक्त हुआ है। साहित्य-जगत में प्रचलित शिल्प-सौष्ठव के बजाय इन कहानियों में आदिवासी जन जीवन को उसकी सामान्य नैसर्गिकता में प्रस्तुत करने को ही प्रमुखता दी गई है। यह स्वाभाविकता ही इनकी जान है जिसमें आदिवासी परम्परा, संस्कृति, इतिहास ही नहीं समूची समष्टि समाहित है। इन कहानियों के केन्द्र में प्रकृति और स्त्रियाँ हैं। अपने नैसर्गिक परिवेश और पुरखों द्वारा अर्जित संस्कृति में रची-बसी, श्रमशील, संघर्षशील और ‘देश निर्माण’ में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार। निश्चय ही यह कहानियाँ पाठक को एक नए अनुभव-संसार तक ले जाएँगी।

Vandana Tete

जन्म: 13 सितम्बर, 1969। सामाजिक कार्य (महिला एवं बाल विकास) में राजस्थान विद्यापीठ से स्नातकोत्तर। हिन्दी एवं खडिय़ा में लेख, कविताएँ, कहानियाँ स्थानीय एवं राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित तथा आकाशवाणी रांची एवं उदयपुर से लोकगीत, वार्ता व साहित्यिक रचनाएँ प्रसारित। सामाजिक विमर्श की पत्रिका ‘समकालीन ताना-बाना’, बाल-पत्रिका ‘पतंग’ (उदयपुर से प्रकाशित) का सम्पादन-प्रकाशन एवं झारखण्ड आन्दोलन की राजनीतिक पत्रिका ‘झारखण्ड खबर’ (रांची) का उप-सम्पादन। झारखण्ड की पहली बहुभाषायी पत्रिका ‘झारखण्डी भाषा, साहित्य, संस्कृति: अखड़ा’ (2004 से), खडिय़ा मासिक पत्रिका ‘सोरिनानिङ’ (2005 से) तथा नागपुरी मासिक पत्रिका ‘जोहार सहिया’ (2006 से) का सम्पादन-प्रकाशन। प्रकाशित पुस्तकें: पुरखा लड़ाके, किसका राज है, झारखण्ड: एक अन्तहीन समरगाथा, पुरखा झारखण्डी साहित्यकार और नये साक्षात्कार, असुर सिरिंग, आदिवासी साहित्य: परम्परा और प्रयोजन आदिम राग, कोनजोगा, एलिस एक्का की कहानियां, आदिवासी दर्शन और साहित्य आदि। समाज के शोषित एवं वंचित समुदाय, विशेषकर आदिवासी, महिला, शिक्षा, साक्षारता, स्वास्थ्य और बच्चों के मुद्दों पर पिछले 30 वर्षों से लगातार सक्रिय। महिला सवालों एवं सामाजिक, शैक्षणिक व स्वास्थ्य विषयों पर नुक्कड़ नाटकों में अभिनय तथा कई नाट्य कार्यशालाओं का निर्देशन-संचालन। वर्तमान में झारखंड की आदिवासी एवं देशज भाषा-साहित्य व संस्कृति के संरक्षण, संवद्र्धन और विकास के लिए प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन रांची, के साथ सृजनरत।.
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