Pashchatya Sahitya Chintan

Author:

Nirmala Jain

Publisher:

RADHAKRISHAN PRAKASHAN PVT. LTD

Rs556 Rs695 20% OFF

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Publisher

RADHAKRISHAN PRAKASHAN PVT. LTD

Publication Year 1990
ISBN-13

9788171190188

ISBN-10 9788171190188
Binding

Hardcover

Number of Pages 195 Pages
Language (Hindi)
Weight (grms) 360
पश्चिम में साहित्य-चिंतन की सुदीर्घ परंपरा को हिंदी के पाठकों के लिए प्रामाणिक और सहज ग्राह्य रूप में सुलभ कराने की दिशा में प्रस्तुत ग्रंथ एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है। प्लेटो से बीसवीं शताब्दी तक पाश्चात्य काव्य-चिंतन में योगदान देनेवाले सभी महत्त्वपूर्ण विचारकों और प्रवृत्तियों का प्रामाणिक विवेचन इस रचना की विशेषता है; अकादमिक अनुशासन से एक साथ युक्त और मुक्त विश्लेषण-पद्धति इसका प्रमुख आकर्षण है। ग्रंथ की सामग्री का आधार मूल स्रोत है। बक़ौल प्लेटो: सत्य के अनुकरण का अनुकरण ग्रंथ की विश्वसनीयता तथा लेखिका की प्रतिबद्धता का कारण भी यही है। प्रस्तुत कृति से इस विषय के सुधी पाठकों की बहुत बड़ी आवश्यकता की पूर्ति होगी।.``

Nirmala Jain

निर्मला जैन का जन्म सन् 1932 में दिल्ली के व्यापारी परिवार में हुआ। बचपन में ही पिता की मृत्यु हो जाने के कारण आरम्भिक जीवन संघर्षपूर्ण रहा। इसके बावजूद उन्होंने दिल्ली में ही शिक्षा पूरी की और वर्षों कत्थक गुरु अच्छन महाराज (बिरजू महाराज के पिता) से नृत्य की शिक्षा प्राप्त की। विवाह से पहले बी.ए. तक और विवाह के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से ही उन्होंने एम.ए., पी-एच.डी. और डी.लिट् की उपाधियाँ प्राप्त कीं।
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