Galob Ke Bahar Ladki  (Pb)

Author:

Pratyaksha

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Rs144 Rs160 10% OFF

Availability: Available

    

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2020
ISBN-13

9789388753326

ISBN-10 9789388753326
Binding

Paperback

Number of Pages 160 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 x 14 x 4
Weight (grms) 150
प्रत्यक्षा की कहानियों में जितनी कविता होती है, कविताओं में उतनी ही कहानी भी होती है। विधाओं का पारंपरिक अनुशासन तोड़ कर वे एक ऐसी अभिव्यक्ति रचती हैं जिसमें कविता की तरलता भी होती है और गद्य की गहनता भी। यह अनुशासन वे किसी शौक या दिखावे के लिए नहीं, कुछ ऐसा कह पाने के लिए तोड़ती हैं जिसे किसी एक विधा में ठीक-ठीक कह पाना संभव नहीं। हिंदी में गद्य कविताओं का सिलसिला पुराना है, लेकिन ज़्यादातर कवियों के यहां वे एक शौकिया विचलन की तरह दिखती हैं, जबकि प्रत्यक्षा का जैसे घर ही इन्हीं में बसता है। उनका अतीत, उनका वर्तमान, उनके रिश्ते-नाते, उनके जिए हुए दिन, उनके किए हुए सफऱ, सफऱ में मिले दोस्त, उस दौरान लगी प्यास, कहीं सुना हुआ संगीत, मां की याद- यह सब इन कविताओं में कुछ इस स्वाभाविकता से चले आते हैं जैसे लगता है कि रचना के स्थापत्य में इनकी जगह तो पहले से तय थी। फिर वह स्थापत्य भी इतना अनगढ़ है कि पढऩे वाला कदम-कदम पर हैरान हो। प्रत्यक्षा की रचना के परिसर में घूमना एक ऐसे घर में घूमना है जिसमें दीवारें पारदर्शी हैं, जिसके आंगन में धरती-आसमान दोनों बसते हैं, जिसके कमरे अतीत और वर्तमान की कसी हुई रस्सी से बने हैं, जहां ढेर सारे लोग बिल्कुल अपनी जि़ंदा गंध और आवाज़ों-पदचापों के साथ आते-जाते घूमते रहते हैं। हिंदी की इस विलक्षण लेखिका की यह कृति इस मायने में भी विलक्षण है कि अपने पाठक को वह रचना का एक बिल्कुल नया आस्वाद सुलभ कराती है- जिससे गुजऱते हुए पाठक भी अपने-आप को बदला हुआ पाता है। यह वह तिलिस्मी मन है जिससे निकल कर आप पाते हैं कि दुनिया आपके लिए कुछ और हो गई है। यह पुस्तक प्रत्यक्षा की रचनाशीलता का ही नहीं, हिंदी लेखन का भी एक प्रस्थान बिंदु है।

Pratyaksha

प्रत्यक्षा लिखती हैं, सोचती गुनती हैं, पावरग्रिड में वित्त विभाग की नौकरी करती हैं, संगीत और लिबरल आर्ट में रुचि रखती हैं, इतिहास और समय के रहस्य में मनुष्य के अस्तित्व का सन्दर्भ खोजती हैं। हरेक महादेश में एक बार घूम लेना, हर समन्दर के पानी को छू लेने की ख्वाहिश रखती हैं, इन जगहों के लोगों से मिल लेना, उनका खाना चख लेना, उनकी भाषा सीख लेना, माने ये कि इस एक जीवन में अनेक जीवन जी लेने की तमन्ना रखती हैं। किताबें जो लिखीं अब तक: जंगल का जादू तिल तिल, पहर दोपहर ठुमरी, एक दिन मराकेश, तुम मिलो दोबारा, तैमूर तुम्हारा घोड़ा किधर है, बारिशगर, Rain Song, Meet me tomorrow । कुछ अनुवाद भी: मुक्तिबोध पर लेख और उनकी कुछ कविताओं का अंग्रेज़ी में अनुवाद। सम्मान: 2012 में इंडो नॉर्वेजियन पुरस्कार से अंग्रेज़ी कहानी, दैट आई बी अ गैनेट से सम्मानित, नॉरवे के अन्तराष्ट्रीय लिटरेचर फेस्टीवल बियोर्नसन फेस्टीवालेन में 2014 में सहभागिता, 2011 में सोनभद्र कथा सम्मान, 2012 में इंडो नारवेजियन पुरस्कार, 2013 में कृष्ण बलदेव वैद फेलोशिप, 2015 में संगम हाउस रेसिडेंसी की फेलो रहीं, 2018 में हंस कथा सम्मान।.
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