Publisher |
RADHAKRISHAN PRAKASHAN PVT. LTD |
Publication Year |
2020 |
ISBN-13 |
9788171196494 |
ISBN-10 |
9788171196494 |
Binding |
Hardcover |
Number of Pages |
80 Pages |
Language |
(Hindi) |
Dimensions (Cms) |
20 X 14 X 4 |
Weight (grms) |
1000 |
एंतोन चेखव ने इस एक नाटक में जिस विराट ऐतिहासिक सचाई को पकड़ा है, वह शायद बहुत बड़े उपन्यास का विषय था। इसी सचाई के रेशों से बुना चेरी का बगीचा समूचे देश का प्रतीक बन उठा है। चेरी के बगीचे की मालकिन 'श्रीमती रैनिकव्स्काया अपने आप में ही डूबी है। आशा, निराशा, सुख-दुख की यह निजी दुनिया बाहरी दबावों में और भी सिकुड़ती चली जाती है, लेकिन इस कैद से छूट कर बाहर आया एक छोटे-से दुकानदार का बेटा लोपाखिन समय को पहचानता है। औद्योगिक संस्कृति के उदय का यह नया-नया सम्पन्न व्यवसायी व्यक्ति, क्रूर और स$ख्त हाथों से नया समाज बना रहा है। इस सन्दर्भ में अनुवादक राजेन्द्र यादव का कथन है: चेखव की रचनाओं की आत्मीयता, करुणा और खास किस्म की निराश उदासी (लगभग आत्मदया जेसी) मुझे बहुत छूती है। मैं उसके प्रभाव से लगभग मोहाच्छान्न था। उसी श्रद्धा से मैंने इन नाटकों को हाथ लगाया था। रूसी भाषा नहीं जानता था, मगर अधिक से अधिक ईमानदारी से उसके नाटकों की मौलिक शक्ति तक पहुँचाना चाहता था। इसलिए तीन अंग्रेज़ी अनुवादों को सामने रखकर एक-एक वाक्य पढ़ता और मूल को पकडऩे की कोशिश करता। आाार बनाया मॉस्को के अनुवाद को। बाद में सुना, अनुवादों को पाठकों ने पसन्द किया, अनेक रंग-संस्थानों और रेडियो इत्यादि ने इन्हें अपनाया, पाठ्यक्रम में भी लिया गया।.
Anton Chekhav
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