Vichar Ka Aina Kala Sahitya Sanskriti Mahadevi Verma

Author:

Mahadevi Verma

Publisher:

LOKBHARTI PRAKASHAN

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Publisher

LOKBHARTI PRAKASHAN

Publication Year 2023
ISBN-13

9789392186141

ISBN-10 9392186142
Binding

Paperback

Number of Pages 184 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 22.5 X 14.5 X 1.5

विचार का आईना शृंखला के अन्तर्गत ऐसे साहित्यकारों, चिन्तकों और राजनेताओं केकला साहित्य संस्कृतिकेन्द्रित चिन्तन को प्रस्तुत किया जा रहा है जिन्होंने भारतीय जनमानस को गहराई से प्रभावित किया। इसके पहले चरण में हम मोहनदास करमचन्द गांधी, रवीन्द्रनाथ ठाकुर, प्रेमचन्द, जयशंकर प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, राममनोहर लोहिया, रामचन्द्र शुक्ल, सूर्यकान्त त्रिपाठीनिराला’, महादेवी वर्मा, सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायनअज्ञेयऔर गजानन माधव मुक्तिबोध के विचारपरक लेखन से एक ऐसा मुकम्मल संचयन प्रस्तुत कर रहे हैं जो हर लिहाज से संग्रहणीय है।     छायावाद के आधार स्तम्भों में से एक महादेवी कवि और विमर्शकार दोनों ही रूपों में अद्वितीय हैं। अपनी कविताओं में उन्होंने स्त्री जीवन की मार्मिक विडम्बनाओं को स्वर दिया है तो अपनी चर्चित कृतिशृंखला की कड़ियाँमें उन्होंने उन अवरोधों की सटीक पहचान की जिन्होंने सदियों से स्त्री को पराधीनता के घेरे में रोक रखा है। स्त्री की अस्मिता की खोज करते हुए अपने पूरे परिवेश के प्रति सहज राग उनके समूचे चिन्तन को उल्लेखनीय विशिष्टता प्रदान करता है। करुणा उनके चिन्तन की धुरी है। हमें उम्मीद है कि उनके कला, साहित्य और संस्कृति सम्बन्धी प्रतिनिधि निबन्धों की यह किताब उन पाठकों के लिए बहुत उपयोगी होगी जो भारतीय स्त्री जीवन की विडम्बनाओं को समझते हुए उसकी मुक्ति के देशज स्रोतों की तलाश में हैं।

Mahadevi Verma

महादेवी वर्मा,जन्म: 1907, फर्रुख़ाबाद (उ.प्र.)। शिक्षा : मिडिल में प्रान्त-भर में प्रथम, इंट्रेंस प्रथम श्रेणी में, फिर 1927 में इंटर, 1929 में बी.ए., 1932 में प्रयाग विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम.एम. किया प्रयाग महिला विद्यापीठ में प्रधानाचार्य और 1960 में कुलपति। ‘चाँद’ का सम्पादन। ‘विश्ववाणी’ के ‘युद्ध अंक’ का सम्पादन। ‘साहित्यकार’ का प्रकाशन व सम्पादन। नाट्य संस्थान ‘रंगवाणी’ की प्रयाग में स्थापना। पुरस्कार : ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’, ‘नीरजा’ पर ‘सेकसरिया पुरस्कार’, ‘स्मृति की रेखाएँ’ पर ‘द्विवेदी पदक’, ‘मंगलाप्रसाद पारितोषिक’, उत्तर प्रदेश सरकार का ‘विशिष्ट पुरस्कार’, उ.प्र. हिन्दी संस्थान का ‘भारत भारती पुरस्कार’। उपाधियाँ : भारत सरकार की ओर से ‘पद्मभूषण’ और फिर ‘पद्मविभूषण’ अलंकरण। विक्रम, कुमाऊँ, दिल्ली, बनारस विश्वविद्यालयों से डी.लिट्. की उपाधि। ‘साहित्य अकादेमी’ की सम्मानित सदस्या रहीं। प्रमुख कृतियाँ : ‘अतीत के चलचित्र’, ‘शृंखला की कड़ियाँ’, ‘स्मृति की रेखाएँ’, ‘पथ के साथी’ (रेखाचित्र); ‘क्षणदा’, ‘साहित्यकार की आस्था’, ‘संकल्पित’ (निबन्ध); ‘मेरा परिवार’ (संस्मरण); ‘सम्भाषण’ (भाषण); ‘चिन्तन के क्षण’ (रेडियो वार्ता); ‘नीहार’, ‘रश्मि’, ‘नीरजा’, ‘सांध्यगीत’, ‘दीपशिखा’, ‘प्रथम आयाम’, ‘अग्निरेखा’, ‘यात्रा’ (कविता-संग्रह)। निधन : 11 सितम्बर, 1987
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