Samar Shesh Hai

Author:

Abdul Bismillah

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Rs283 Rs350 19% OFF

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2017
ISBN-13

9788126729418

ISBN-10 9788126729418
Binding

Hardcover

Number of Pages 167 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 x 14 x 4
Weight (grms) 320
अब्दुल बिस्मल्लाह नई पीढ़ी के बहुचर्चित और बहुमुखी प्रतिभा-सम्पन्न रचनाकार हैं. झीझीनी बीनी चदरिया नामक उपन्यास के लिए इन्हें सोवियत भूमि नेहरु पुरुस्कार से भी सम्मनित किया जा चुका है समर शेष है अब्दुल बिस्मल्लाह का कथात्मक उपन्यास है। कथा नायक है, सातआठ साल का मत्र्विहीन बच्चा, जो कि पिता के साथसाथ स्वयं भी भारी विषमता से ग्रसित है. लेकिन पिता का असामयिक निधन उसे जैसे विकट जीवन-संग्राम में अकेला छोड़ जाता है. पिता के सहारे उसने जिस सभ्य और सुरक्षित जीवन के सपने देखे थे, वे उसे एकाएक ढहते हुए दिखाई दिए. फिर भी उसने सहस नहीं छोड़ा और पुरषार्थ के बल पर अकेले ही अपने दुर्भग्य से लड़ता रहा. इस दौरान उसे यदि तरह-तरह के अपमान झेलने पड़े तो किशोरावस्था से युवावस्था की ओर बढ़ते हुए एक युवती के प्रेम और उसके हृदय की समस्त कोमलता का भी अनुभव हुआ.लेकिन इस प्रक्रिया में न तो वह कभी टूटा या पराजित हुआ और न ही अपने लक्ष्य को कभी भूल पाया. कहने की आवश्यकता नहीं कि विपरीत स्थितियों के बावजूद संकल्प और संघर्ष के गहेरे तालमेल से मनुष्य जिस जीवन का निर्माण करता है, यह कृति उसी की अभिवयक्ति है.

Abdul Bismillah

अब्दुल बिस्मिल्लाह जन्म: 5 जुलाई, 1949 को इलाहाबाद जिले के बलापुर गाँव में। शिक्षा: इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एम.ए. तथा डी.फिल्.। 1993-95 के दौरान वार्सा यूनिवर्सिटी, वार्सा (पोलैंड) में तथा 2003-05 के दौरान भारतीय दूतावास, मॉस्को (रूस) के जवाहरलाल नेहरू सांस्कृतिक केन्द्र में विजि़टिंग प्रोफ़ेसर रहे। 1988 में सोवियत संघ की यात्रा। उसी वर्ष ट्यूनीशिया में सम्पन्न अफ्रो-एशियाई लेखक सम्मेलन में शिरकत। पोलैंड में रहते हुए हंगरी, जर्मनी, प्राग और पेरिस की यात्राएँ। 2002 में म्यूनि$ख (जर्मनी) में आयोजित 'इंटरनेशनल बुक वीक' कार्यक्रम में हिस्सेदारी। 2012 में जोहांसबर्ग में आयोजित विश्व-हिन्दी सम्मेलन में शिरकत। कृतियाँ: अपवित्र आख्यान, झीनी झीनी बीनी चदरिया, मुखड़ा क्या देखे, समर शेष है, ज़हरबाद, दंतकथा, रावी लिखता है (उपन्यास), अतिथि देवो भव, रैन बसेरा, रफ़ रफ़ मेल, शादी का जोकर (कहानी-संग्रह), वली मुहम्मद और करीमन बी की कविताएँ, छोटे बुतों का बयान (कविता-संग्रह), दो पैसे की जन्नत (नाटक), अल्पविराम, कजरी, विमर्श के आयाम (आलोचना), दस्तंबू (अनुवाद) आदि। झीनी झीनी बीनी चदरिया के उर्दू तथा अंग्रेज़ी अनुवाद प्रकाशित। अनेक कहानियाँ मराठी, पंजाबी, मलयालम, तेलगू, बांग्ला, उर्दू, जापानी, स्पैनिश, रूसी तथा अंग्रेज़ी में अनूदित। रावी लिखता है उपन्यास पंजाबी में पुस्तकाकार प्रकाशित। रफ़ रफ़ मेल की 12 कहानियाँ रफ़ रफ़ एक्सप्रेस शीर्षक से फ्रेंच में अनूदित एवं पेरिस से प्रकाशित। सम्मान: सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार, दिल्ली हिन्दी अकादमी, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान और म.प्र. साहित्य परिषद के देव पुरस्कार से सम्मानित। सम्प्रति: केन्द्रीय विश्वविद्यालय जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली के हिन्दी विभाग में प्रोफ़ेसर।.
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