Shankarlal Bhattacharya
जन्म १५ अगस्त, १९४७। इनके पिता विख्यात विधि विशेषज्ञ थे। उनका नाम था—बंकिमचन्द्र भट्टाचार्य। वे विदग्ध पण्डित और दानशील व्यक्ति थे। उनके घर का वातावरण, पुस्तकों, राजनीति और संगीत से सराबोर था। शंकरलाल का पालन-पोषण इसी वातावरण में हुआ था। इन्होंने अँग्रेज़ी साहित्य में एम.ए. विश्वविद्यालय में प्रथम श्रेणी में प्रथम रहकर किया था। शंकर लाल की कहानियों, उपन्यासों और प्रबन्ध-निबन्धों में कलकत्ता शहर के व्यक्तियों की स्मृति-सुधा और संगीत का विस्तार है। उनके कहानी-संकलनों में मुख्य हैं—'ऐंगलो चाँद', 'गाँधी के आततायी' तथा 'कवि की मृत्यु'। 'प्रथम पुरुष', 'एई आमि एका अन्य', 'आघेन, हेलेन ओ सेई क्रन्याही' जैसे उपन्यास उन्होंने लिखे हैं। 'दार्शनिक की मृत्यु', 'चिन्ता की सीमा', उनके समादृत प्रबन्ध संकलन हैं। इसके अलावा उन्होंने सत्यजित राय, रविशंकर, उदय शंकर तथा सुनील गंगोपाध्याय के साथ विलायत ख़ाँ पर काम किया है। रविशंकर की आत्मकथा 'राग अनुराग' के वे सहलेखक हैं। उन्होंने हेमन्त मुखोपाध्याय के ग्रन्थ 'आमार गानेर सुरलिपि' आत्म-स्मृति का भी सहलेखन किया है।.
Shankarlal Bhattacharya
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