Publisher |
National Book Trust |
Publication Year |
2021 |
ISBN-13 |
9789354911040 |
ISBN-10 |
9354911048 |
Binding |
Paperback |
Number of Pages |
72 Pages |
Language |
(Hindi) |
Weight (grms) |
118 |
बाबा बंदा सिंह की जीवन-कथा पढ़कर पाठक को पता लगता है कि गुरु जी के आशीष में कितनी बरकत है। पंजाब से दूर दक्खिन में बैठा माधोदास अपनी दुनिया में मस्त था । वह निःसंदेह धार्मिक मनुष्य था, योग अभ्यास में उसका कोई सानी नहीं था। गुरु गोविंद सिंह जी ने उसको धर्म के क्षेत्र से कर्मक्षेत्र में प्रवेश करवा दिया। केवल दो दर्जन सिखों की एक छोटी-सी टुकड़ी 1708 ई. में नांदेड़ से चली और दो वर्षों के भीतर सरहिंद के किले पर 'निशान-साहिब' लहरा दिया। पंजाब का हल-वाहक काश्तकार ज़मीन का मालिक हो गया। बंदा सिंह का राज नहीं रहा, फिर भी पंजाबियों ने ज़मीनों के कब्ज़े नहीं छोड़े। गुलाम प्रजा को आज़ादी का अहसास कराना बंदा सिंह की बड़ी उपलब्धि थी।
S.S.CHEENA
National Book Trust