Hashimpura 22 May   

Author:

Vibhuti Narayan Rai

Publisher:

RADHAKRISHAN PRAKASHAN PVT. LTD

Rs179 Rs199 10% OFF

Availability: Available

Shipping-Time: Usually Ships 1-3 Days

    

Rating and Reviews

0.0 / 5

5
0%
0

4
0%
0

3
0%
0

2
0%
0

1
0%
0
Publisher

RADHAKRISHAN PRAKASHAN PVT. LTD

Publication Year 2020
ISBN-13

9788183619448

ISBN-10 8183619444
Binding

Paperback

Number of Pages 160 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 X 12 X 1

साल 1987; दिन 22 मई; समय तक़रीबन आधी रात। ग़ाज़ियाबाद से सिर्फ़ पन्द्रह-बीस किलोमीटर दूर मकनपुर गाँव की नहर के किनारे आज़ाद भारत का सबसे भयावह हिरासती हत्याकांड हुआ था। पी..सी. ने मेरठ के हाशिमपुरा मुहल्ले से उठाकर कई दर्जन मुसलमानों को यहाँ नहर की पटरी पर लाकर मार दिया था। विभूति नारायण राय उस समय गाजियाबाद के पुलिस कप्तान थे।यह पुस्तक लेखक द्वारा उसी समय लिए गए एक संकल्प का नतीजा है, जब वे धर्मनिरपेक्ष भारत की विकास-भूमि पर अपने लेखकीय और प्रशासनिक जीवन के सबसे जघन्य दृश्य के सम्मुख थे। साम्प्रदायिक दंगों की धार्मिक-प्रशासनिक संरचना पर गहरी निगाह रखनेवाले, और शहर में कर्फ़्यू जैसे अत्यन् संवेदनशील उपन्यास के लेखक विभूति जी ने इस घटना को भारतीय सत्ता-तंत्र और भारतवासियों के परस्पर सम्बन्धों के लिहाज़ से एक निर्णायक और उद्घाटनकारी घटना माना और इस पर प्रामाणिक तथ्यों के साथ लिखने का फ़ैसला लिया जिसका नतीजा यह पुस्तक है।यह सिर्फ़ उस घटना का विवरण भर नहीं है, उसके कारणों और उसके बाद चले मुक़दमे और उसके फ़ैसले के नतीजों को जानने की कोशिश भी है। इसमें दु: है, चिन्ता है, आशंका है, और उस ख़तरे को पहचानने की इच्छा भी है जो इस तरह की घटनाओं के चलते हमारे समाज और देश की सामूहिकता के सामने सकता हैघृणा, अविश्वास और हिंसा का चहुँमुखी प्रसार।उम्मीद करते हैं कि इस किताब को पढ़ने के बाद हम एक सभ्य नागरिक समाज के रूप में अपने आस-पास पसरते इस ख़तरे के प्रति सतर्क होंगे और इसे रोकने का संकल्प लेंगे, जिसके कारण हाशिमपुरा जैसे कांड वैधता पाते हैं।

Vibhuti Narayan Rai

विभूति नारायण राय मूलत: उपन्यासकार विभूति नारायण राय का जन्म 28 नवम्बर, 1950 को हुआ। अब तक आपके पाँच उपन्यास प्रकाशित— ‘घर’, ‘शहर में कर्फ़्यू’, ‘क़िस्सा लोकतंत्र’, ‘तबादला’ तथा ‘प्रेम की भूतकथा’। ‘घर’ बांग्ला, उर्दू तथा पंजाबी; ‘शहर में कर्फ़्यू’ उर्दू, अँग्रेज़ी, पंजाबी, बांग्ला, मराठी, कन्नड़, मलयालम, असमिया, उड़िया, तेलगू तथा तमिल; ‘क़िस्सा लोकतंत्र’ पंजाबी तथा मराठी; ‘तबादला’ उर्दू तथा अंग्रेज़ी और ‘प्रेम की भूतकथा’ उर्दू, मराठी, पंजाबी, कन्नड़ तथा अंग्रेज़ी में अनूदित और प्रकाशित।‘क़िस्सा लोकतंत्र’, ‘उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान’ द्वारा सम्मानित। ‘तबादला’ कथा यू.के. द्वारा 'इन्दु शर्मा कथा सम्मान' से सम्मानित। भारतीय समाज में व्याप्त साम्प्रदायिकता को समझने के क्रम में ‘साम्प्रदायिक दंगे और भारतीय पुलिस’ तथा ‘हाशिमपुरा 22 मई’ नामक दो महत्त्वपूर्ण पुस्तकों का प्रकाशन। इन दोनों पुस्तकों का अंग्रेज़ी, उर्दू, कन्नड़, मराठी, तेलगू तथा तमिल में अनुवाद।विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए व्यंग्य-लेखन जो संग्रह के रूप में ‘एक छात्र नेता का रोज़नामचा’ नाम से प्रकाशित। लेखों के तीन संग्रह ‘रणभूमि में भाषा’, ‘फ़ेंस के उस पार’, ‘किसे चाहिए सभ्य पुलिस’ प्रकाशित। कई पत्र-पत्रिकाओं में स्तम्भ-लेखन। लगभग दो दशकों तक हिन्दी की महत्त्वपूर्ण मासिक पत्रिका ‘वर्तमान साहित्य’ का सम्पादन। पुलिस में लम्बी नौकरी के बाद आप पाँच वर्षों तक ‘महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा’ के कुलपति भी रहे।
No Review Found
More from Author