Azadi Ke Apurva Anubhav - Hb

Author:

Sachchidanand Sinha

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Rs386 Rs495 22% OFF

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2019
ISBN-13

9789388753302

ISBN-10 9789388753302
Binding

Hardcover

Number of Pages 139 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 x 14 x 4
Weight (grms) 250
यह पुस्तक मानव स्वतंत्रता का एक अध्ययन है। इस स्वतंत्रता सम्बन्धी विचार का विकास विभिन्न मुद्दों को लेकर चल रहे संघर्षों और उनके संस्थानीकरण से हुआ है। प्रारम्भ बिन्दु तो वह विचार ही है जो यह बतलाता है कि आजादी जीवन का एक आधारभूत सिद्धान्त है, इसलिए यह मनुष्य के लिए बिलकुल नैसर्गिक चीज है, इसे दबाया नहीं जा सकता। इस पुस्तक का लक्ष्य स्वतंत्रता का समावेशी इतिहास लिखना नहीं है बल्कि इसके विकास की अत्यन्त संक्षिप्त रूपरेखा प्रस्तुत करना है। इसलिए उनमें उन कुछ लिपिबद्ध घटनाओं का वर्णन है जो इसके लक्ष्यों में से कुछेक की सिद्धि के रास्ते में निशान बनाती हैं तथा कुछ उन मूल विचारों का वर्णन है जिनके कारण मानवीय सोच इस दिशा में साकार हो सकी। और इस प्रक्रिया में तथ्यों के साथ विचार को प्रकट करनेके लिए फ्रांस की क्रान्ति जैसी इतिहास की सबसे महत्त्वपूर्ण घटनाओं में से कुछेक को केवल स्वीकृत सन्दर्भों के रूप में लिया गया है कि तारतम्य बना रहे। पुस्तक में उन घटनाओं पर भी विचार किया गया है जिन्होंने ऐतिहासिक घटनाओं के लिए तथा उनकी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के निमित्त आधारवस्तु तैयार की। इस अध्ययन में यूरोपीय देशों में खासकर ब्रिटेन के अनुभवों की विस्तृत चर्चा है। इसका एक कारण यह है कि यूरोप के विकासों का दस्तावेज पूरी तरह से लिपिबद्ध है। इसका एक दूसरा कारण भी है कि दुनिया के अनेक हिस्सों में मुक्ति के संघर्ष तो हुए, लेकिन आगे बढऩे की चाह रखनेवाली मुक्तिधाराओं में से ज्यादातर धाराएँ काल की रेत में खो गईं। एकमात्र धारा जो आज तक विद्यमान है तथा एक शक्तिशाली नदी का रूप धारण कर ली है, वह वही धारा है जिसका उद्भव यूरोप में हुआ था। यही स्रोत कि दूसरे लोगों ने भी यूरोपीय विचारों की रोशनी में गुलामी के खिलाफ आवाज उठाई और अपनी आजादी की फिर से खोज की। आज हम देखते हैं कि उस आजादी के संघर्ष को मानवाधिकारों के संयुक्त राष्ट्र चार्टर के द्वारा संकेतित किया गया है। यह चार्टर स्वयं घटनाओं की वक्रगति की पराकाष्ठा है तथा पूरी तरह सत्ताओं की इच्छा के विपरीत वैसा रूप धारण कर लिया है जो इसके सृजन के लिए जवाबदेह थे। निस्सन्देह, यह पुस्तक वैश्विक परिदृश्य में आजादी के संघर्ष को विभिन्न काल-खंडों में देखने-समझने की जिस वैचारिक जमीन की रचना करती है, वह अपनी प्रक्रिया में अपूर्व अनुभवों की अपूर्व कथा की तरह है।

Sachchidanand Sinha

सच्चिदानंद सिन्हा सच्चिदानंद सिन्हा का जन्म 30 अगस्त, 1928 को मुजफ्फरपुर जिले के साहेबगंज के परसौनी ग्राम में हुआ। आपका नाम देश के वरिष्ठ समाजवादी विचारकों में शुमार है। अपने छात्र जीवन में ही समाजवादी मूल्यों की राजनीति की तरफ आकृष्ट हुए। फिर, सोशलिस्ट पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता रहे। डॉ. लोहिया की पत्रिका ‘मैनकाइंड’ के सम्पादक मंडल में भी रहे और बाद के दिनों में अपने मित्र किशन पटनायक की वैचारिक पत्रिका ‘सामयिक वार्ता’ के सम्पादकीय सलाहकार रहे। आपने अंग्रेजी तथा हिन्दी में दर्जनों पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें महत्त्वपूर्ण हैं: ‘सोशलिज्म एंड पावर’, ‘कियोस एंड क्रिएशन’, ‘कास्ट सिस्टम: मिथ रियलिटी एंड चैलेंज’, ‘कोएलिशन इन पॉलिटिक्स’, ‘इमर्जेन्सी इन परस्पेक्टिव’, ‘इंटरनल कॉलोनी’, ‘दी बिटर हार्वेस्ट’, ‘सोशलिज्म: ए मैनिफेस्तो फॉर सरवाइवल’, ‘समाजवाद के बढ़ते चरण’, ‘वर्तमान विकास की सीमाएँ’, ‘पूंजीवाद का पतझड़’, ‘संस्कृति विमर्श’, ‘मानव सभ्यता और राष्ट्र-राज्य’, ‘संस्कृति और समाजवाद’, ‘पूँजी का चौथा अध्याय’, ‘भारतीय राष्ट्रीयता और साम्प्रदायिकता’ इत्यादि। निवास स्थान: ग्राम व पोस्ट—मनिका, जिला— मुजफ्फरपुर (बिहार), पिन-845431। रामजय प्रताप पेशे से वकील हैं। साथ ही, एक सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। कला-संस्कृति, साहित्य व राजनीतिक विचार विषयक प्रकाशनों में इनकी गहरी अभिरुचि है और ऐसी चीजों का अनुवाद वह समय-समय पर करते रहते हैं। सच्चिदानंद सिन्हा की पाँच पुस्तकों का इन्होंने हिन्दी अनुवाद किया है और यह पुस्तक उन्हीं महत्त्वपूर्ण पुस्तकों में से एक है। स्थायी पता: ग्राम व पोस्ट—चैता, जिला—पूर्वी चंपारण (बिहार), पिन-845414।
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