Saaye Mein Dhoop

Author:

Dushyant Kumar

Publisher:

RADHAKRISHAN PRAKASHAN PVT. LTD

Rs199

Availability: Available

    

Rating and Reviews

0.0 / 5

5
0%
0

4
0%
0

3
0%
0

2
0%
0

1
0%
0
Publisher

RADHAKRISHAN PRAKASHAN PVT. LTD

Publication Year 2008
ISBN-13

9788183619530

ISBN-10 8183619533
Binding

Paperback

Number of Pages 63 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 21 X 14 X 2.5
Weight (grms) 120

जिंदगी में कभी-कभी ऐसा दौर आता है जब तकलीफ गुनगुनाहट के रास्ते बाहर आना चाहती है ! उसमे फंसकर गेम-जाना और गेम-दौरां तक एक हो जाते हैं ! ये गजलें दरअसल ऐसे ही एक दौर की देन हैं ! यहाँ मैं साफ़ कर दूँ कि गजल मुझ पर नाजिल नहीं हुई ! मैं पिछले पच्चीस वर्षों से इसे सुनता और पसंद करता आया हूँ और मैंने कभी चोरी-छिपे इसमें हाथ भी आजमाया है ! लेकिन गजल लिखने या कहने के पीछे एक जिज्ञासा अक्सर मुझे तंग करती रही है और वह है कि भारतीय कवियों में सबसे प्रखर अनुभूति के कवि मिर्जा ग़ालिब ने अपनी पीड़ा की अभिव्यक्ति के लिए गजल का माध्यम ही क्यों चुना ? और अगर गजल के माध्यम से ग़ालिब अपनी निजी तकलीफ को इतना सार्वजानिक बना सकते हैं तो मेरी दुहरी तकलीफ (जो व्यक्तिगत भी है और सामाजिक भी) इस माध्यम के सहारे एक अपेक्षाकृत व्यापक पाठक वर्ग तक क्यों नहीं पहुँच सकती ? मुझे अपने बारे में कभी मुगालते नहीं रहे ! मैं मानता हूँ, मैं ग़ालिब नहीं हूँ ! उस प्रतिभा का शतांश भी शायद मुझमें नहीं है ! लेकिन मैं यह नहीं मानता कि मेरी तकलीफ ग़ालिब से कम हैं या मैंने उसे कम शिद्दत से महसूस किया है ! हो सकता है, अपनी-अपनी पीड़ा को लेकर हर आदमी को यह वहम होता हो..लेकिन इतिहास मुझसे जुडी हुई मेरे समय की तकलीफ का गवाह खुद है ! बस..अनुभूति की इसी जरा-सी पूँजी के सहारे मैं उस्तादों और महारथियों के अखाड़े में उतर पड़ा !

Dushyant Kumar

जन्म: 1 सितम्बर, 1933, राजपुर-नवादा, जि़ला बिजनौर (उ.प्र.)। शिक्षा: एम.ए. (हिन्दी), इलाहाबाद। प्रकाशित कृतियाँ: कविता-संग्रह: सूर्य का स्वागत, जलते हुए वन का वसन्त। उपन्यास: छोटे-छोटे सवाल, दुहरी जिन्दगी और आँगन में एक वृक्ष। नाटक: मसीहा मर गया, मन के कोण (एकांकी)। नाट्य-काव्य: एक कण्ठ विषपायी। साये में धूप उनका अन्तिम तथा अत्यन्त चर्चित गज़ल-संग्रह है। इसके अलावा कुछ आलोचनात्मक पुस्तकें, कुछ उपन्यास (जिन्हें खुद दुष्यन्त कुमार ‘फालतू’ कहते थे) लिखे तथा कुछ महत्त्वपूर्ण पुस्तकों के अनुवाद भी किए। निधन: 30 दिसम्बर, 1975, भोपाल (म.प्र.।).
No Review Found
More from Author