Hari Bhari Umeed

Author:

Shekhar Pathak

Publisher:

VANI PRAKSHAN

Rs464 Rs595 22% OFF

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Publisher

VANI PRAKSHAN

Publication Year 2019
ISBN-13

9789388434461

ISBN-10 9388434463
Binding

Paperback

Number of Pages 601 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 23X15.5X3
Weight (grms) 796

मिट्टी, पानी और जंगल पृथ्वी में जीवन के आधार हैं। पहाड़ी जीवन में जंगलों की केन्द्रीयता किसी भी और इलाके से ज़्यादा है। जलवायु परिवर्तन के दौर में जंगलों की वैश्विक महत्ता समझी जाने लगी है। औपनिवेशिक काल में जंगलों में पहला हस्तक्षेप हुआ। बेगार और जंगलात की नीतियों के विरोध ने उत्तराखण्ड को राष्ट्रीय संग्राम से जोड़ा। इसे जंगल सत्याग्रह नाम दिया गया। गाँधी ने इसे 'रक्तहीन क्रान्ति' कहा था। आज़ादी के बाद जंगलात नीतियाँ पूर्ववत् बनी रहीं। अति दोहन और आपदाओं ने इनके दुष्प्रभावों को बढ़ाया। अन्ततः यह प्रतिरोध चिपको आन्दोलन के रूप में मुखरित हुआ। चिपको एक आर्थिक और पारिस्थितिक आन्दोलन के रूप में विकसित होता गया। इसकी बहुत-सी उपलब्धियाँ रहीं, जिनसे यह विश्वविख्यात हुआ। इसने एक ओर उत्तराखण्ड की स्थानीय चेतना निर्मित की, दूसरी ओर उसे समस्त विश्व से जोड़ा। ‘हरी भरी उम्मीद' बीसवीं सदी के विविध जंगलात आन्दोलनों के साथ चिपको आन्दोलन का पहला गहरा और विस्तृत अध्ययन-विश्लेषण प्रस्तुत करती है। यह अध्ययन समाज विज्ञान और इतिहास अध्ययन की सर्वथा नयी पद्धति का आविष्कार भी है।

Shekhar Pathak

Shekhar Pathak is the quintessential historian-as-fieldworker: he has lived in the many valleys where the Chipko protests took place, studied their landscapes, and talked at length to protesters and communities. He has trawled through local newspapers of the 1970s and 1980s and conducted oral interviews with the movement’s leaders and foot soldiers.
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