Bharat Mein Videshi Log Evam Videshi Bhashaye

Author:

Shreesh Chaudhary

,

Ramanjneya Kumar Upadhyaya

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Rs900 Rs1200 25% OFF

Availability: Available

    

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2018
ISBN-13

9788126729593

ISBN-10 9788126729593
Binding

Hardcover

Number of Pages 488 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 x 14 x 4
Weight (grms) 670
भारत की प्राकृतिक सम्पदा, ज्ञान-विज्ञान, कला एवं शिल्प ने हजारों वर्षों से विदेशियों को आकर्षित किया है। यहाँ की वाणिज्यिक एवं सांस्कृतिक परम्परा के कारण यहाँ पर अरबी, बैक्ट्रियन, चीनी, डच, अंग्रेजी, फ्रेंच, यूनानी, हिब्रू, लैटिन, फारसी, पुर्तगाली, तुर्की तथा अन्य भाषाएँ बोली एवं सुनी गईं। संस्कृत आम-लोगों की भाषा भले ही न रही हो, परन्तु इसका इस उपमहाद्वीप की हजारों भाषाओं के साथ शाब्दिक आदान-प्रदान रहा है। कालक्रम से ये सभी भाषाएँ एक समय में लोकप्रियता एवं सत्ता के शिखर तक पहुँचीं और फिर किसी अन्य भाषा के लिए स्थान खाली कर हट गईं। इस प्रक्रिया में इन भाषाओं का अनेक देशज भाषाओं के साथ सम्पर्क हुआ तथा शब्दों एवं अभिव्यक्तियों का आदान-प्रदान हुआ। समय-समय पर नई भाषाओं का जन्म तथा पुरानी भाषाओं का लोप भी हुआ। प्रस्तुत पुस्तक भारत में भाषाओं के इसी उद्भव-विकास, लोप एवं अवशेष की लम्बी शृंखला की कहानी कहती है।

Shreesh Chaudhary

श्रीश चौधरी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास में अंग्रेजी एवं भाषा-विज्ञान के प्रोफेसर हैं। उनकी शिक्षा लंकास्टर विश्वविद्यालय, सी.आई.ई.एफ.एल., हैदराबाद एवं मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा में हुई। भारत में अंग्रेजी एवं विदेशी भाषाओं के स्वरूप एवं प्रयोग के अध्ययन में उनकी गहरी रुचि रही है। अनुवादक : रामाञ्जनेय कुमार उपाध्याय रामाञ्जनेय कुमार उपाध्याय अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में क्रॉस-कल्चरल कम्युनिकेशन में शोध कर रहे हैं। उन्होंने स्नातक एवं परास्नातक की शिक्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से हासिल की। उनकी आरम्भिक शिक्षा-दीक्षा उनके गाँव के प्राथमिक पाठशाला एवं माध्यमिक विद्यालय में हुई। उनकी रुचि अनुवाद तथा सोशियो-प्रैग्मैटिक्स जैसे भाषा-वैज्ञानिक प्रक्षेत्रों में रही है। बीते कई वर्षों से वह जी.एल.ए. विश्वविद्यालय, मथुरा में अध्यापन कार्य कर रहे हैं।

Ramanjneya Kumar Upadhyaya

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