Publisher |
VANI PRAKSHAN |
Publication Year |
2020 |
ISBN-13 |
9789389012729 |
ISBN-10 |
9789389012729 |
Binding |
Paperback |
Number of Pages |
112 Pages |
Language |
(Hindi) |
आज भी भारत में हिजड़ा समाज की स्थिति अत्यन्त दयनीय ही है। कुछ लोगों का विचार है कि भारत की जाति-व्यवस्था इसका कारण है। परन्तु यह सोच गलत है। जाति-व्यवस्था तो बहुत पुराने समय से चलती रही है। पर जैसा कि पीछे कहा जा चुका है-हिजड़ों की ख़राब स्थिति का कारण सीधे-सीधे ब्रिटिश शासन को माना जाना चाहिए। क्योंकि उससे पहले के भारतीय साहित्य में कहीं हिजड़ों के पृथक् समाज का उल्लेख नहीं मिलता। 'मैं हिजड़ा मैं लक्ष्मी' नामक लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी की आत्मकथा से यह तो प्रमाणित हो ही गया कि यदि माता-पिता का संरक्षण, उनका साथ मिले, माता-पिता, भाई-बहन का दृष्टिकोण सकारात्मक हो तो एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति भी आकाश की ऊँचाइयों को छू सकता है।
Sheela Daga
VANI PRAKSHAN