Na Hanyate

Author:

Maitriye Devi

,

Tr. Vimal Mishra

Publisher:

RADHAKRISHAN PRAKASHAN PVT. LTD

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Publisher

RADHAKRISHAN PRAKASHAN PVT. LTD

Publication Year 2010
ISBN-13

9788171196447

ISBN-10 8171196446
Binding

Paperback

Number of Pages 287 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 22 X 14 X 2

साहित्य अकादेमी द्वारा पुरस्कृत मैत्रेयी देवी के आद्यन्त रसपूर्ण इस उपन्यास में प्रेम के अमर तत्त्व ने समय की अबाध गति को केवल रोक दिया है, वरन् उसे अतीत की ओर मोड़ दिया हैबयालीस वर्ष पूर्व नवयौवन के निश्छल, निष्पाप प्रेम के सहज और अबोध दिनों की ओर। आज की पकी उम्र की श्वेत-केशिनी, झुर्रियों-भरे चेहरे और ढीले बदन की अमृता; बेटों-पोतोंवाली, सम्पन्न परिवार की सम्भ्रान्त अमृता एक ऐसे असमंजस का शिकार हो गई है, जिसे तो वह छोड़ ही पा रही है और अपने हृदय से भींच-बाँधकर रख सकती है। बयालीस वर्ष पहले वह सब कुछ, जो एक विदेशी छात्र को लेकर उसके साथ हुआ था, वह प्रेम ही था ! प्रेम नहीं था तो इस तरह, इस उम्र में, आज की परिस्थितियों में उसकी याद ने उसे इतना क्यों झकझोर दिया है? आधी सदी पहले सात समन्दर पार से आए उस अपरिचित से मिलने को आज वह एकाएक कातर क्यों हो उठी है और अपने अत्यन्त सहनशील पति से उसे एक बार देख आने की अनुमति क्यों चाह रही है? प्रेम जन्म-रहित है, शाश्वत पुरातन हैशरीर का नाश होने पर भी वह नहीं मरता। हन्यते हन्यमाने शरीरे।

Maitriye Devi

बांग्ला की लब्धप्रतिष्ठ कवयित्री, कथा-लेखिका तथा रवीन्द्र-साहित्य की मर्मज्ञ मैत्रेयी देवी का जन्म 1 सितम्बर, 1914 में कलकत्ता में हुआ। कवीन्द्र-रवीन्द्र ने लेखिका को उसकी किशोरावस्था में ही स्वयं साहित्य की शिक्षा दी और 16 वर्ष की आयु में कवयित्री के प्रथम कविता-संग्रह ‘उदिता’ की भूमिका भी लिखी। मैत्रेयी देवी ने रवीन्द्रनाथ ठाकुर पर छह ग्रन्थों का प्रणयन किया है। वे समाज-सेवा एवं शान्ति के लिए कार्यरत रहीं तथा ‘साम्प्रदायिक सौहार्द प्रोत्साहक समिति’ की संस्थापिका थीं। कलकत्ता में अनाथ बालकों की एक पाठशाला का संचालन भी करती रहीं। निधन : 29 जनवरी, 1989

Tr. Vimal Mishra

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