Publisher |
Hind Pocket Books Pvt Ltd |
Publication Year |
2015 |
ISBN-13 |
9788121620543 |
ISBN-10 |
8121620546 |
Binding |
Paperback |
Number of Pages |
472 Pages |
Language |
(Hindi) |
Weight (grms) |
450 |
हिंदी के शीर्ष आलोचक प्रो. नित्यानंद तिवारी ने कुछ समय पूर्व उद्भ्रांत के कवित्व पर टिप्पणी करते हुए महाप्राण निराला को उद्भ्रांत का आदर्श बताया था। स्वभावतः उद्भ्रांत निराला की परंपरा के सिद्धहस्त कवि हैं। वे निराला की परंपरा के वाहक ही नहीं, उसके पुरस्कर्ता यानी उसे आगे बढ़ाने वाले भी हैं। निराला के बाद उद्भ्रांत ही पहले और अकेले कवि हैं, जिन्होंने साहित्य की सभी विधाओं - कविता, कहानी, उपन्यास, निबंध, आलोचना, संस्मरण, बाल-साहित्य, अनुवाद आदि और सभी काव्य-रूपों - गीत, नवगीत, ग़ज़ल, मुक्तक, खंड-काव्य आदि में उत्कृष्ट और विपुल सृजन किया है। इतना ही नहीं, अपने महान पुरखे से भी एक कदम आगे बढ़कर उन्होंने काव्य-नाटक के अतिरिक्त कई बेहतरीन महाकाव्य और प्रबंध-काव्य भी लिखे हैं। निराला की श्रेष्ठ कविता ‘राम की शक्ति-पूजा’ से उद्भ्रांत की ‘रुद्रावतार’ कविता की तुलना यों ही नहीं होती, जो दर्जनों भाषाओं में अनूदित होकर और आकाशवाणी तथा दूरदर्शन के अनेक केंद्रों से आधा दर्जन संगीत-रूपकों और गीति-नाट्यों का आधार बनकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा अर्जित कर चुकी है। निस्संदेह उद्भ्रांत निराला के बाद रूप और प्रवृत्ति दोनों स्तरों पर उनका प्रतिनिधित्व करने वाले अकेले कवि हैं, जिन्होंने विपुलता की दृष्टि से ही नहीं, उत्कृष्टता की दृष्टि से भी अपने सृजन-कार्य का लोहा सर्वश्रेष्ठ आलोचकों से मनवाया है और हिंदी-कविता के व्यापक पाठक-वर्ग का ध्यान निरंतर अपनी ओर आकर्षित किया है।
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