Pratinidhi Kahaniyan (Arun Prakash)

Author:

Arun Prakash

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Rs99

Availability: Available

    

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2016
ISBN-13

9788126728015

ISBN-10 9788126728015
Binding

Paperback

Number of Pages 152 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 x 14 x 4
Weight (grms) 1000
साहित्य के मौजूदा दौर में पाठ-सुख वाली कहानियाँ कम होती जा रही हैं। इस संकलन की कहानियों में पाठ-सुख भरपूर है। लेकिन यह सुख तात्कालिक नहीं है बल्कि ये निर्विवाद कहानियाँ देर तक स्मृति में बनी रहती हैं। लोकप्रियता और विचार-केन्द्रित कथा का मिजाज मुश्किल से मिलता है पर इन कहानियों में यह सुमेल इसलिए सम्भव हो पाया क्योंकि यहाँ पाठकों के प्रति गम्भीर सम्मान है। ये कहानियाँ पाठकों को उपभोक्ता नहीं, सहभोक्ता; श्रोता नहीं, संवादक बनने का अवसर देती हैं। इनमें विचार उपलाता नहीं, अन्तर्धारा की तरह बहता है, क्योंकि यह सृजन पाठक-लेखक सहभागिता पर टिका है। युग की प्रमुख आवाजों को सुरक्षित रखना इतिहास की जिम्मेवारी है, छोटी-छोटी अनुगूँजों को सहेजना साहित्य की। मनुष्य विरोधी मूल्यों, सत्ताओं और संगठित संघर्षों की बड़ी उपस्थिति के बावजूद लघु, असंगठित और प्राय: व्यक्तिगत संघर्षों की बड़ी दुनिया है। इन कहानियों में उसी की अनुगूँजें हैं। ये कहानियाँ किसी एक शैली में नहीं बँधी हैं, बल्कि हर कहानी का अलग और स्वतंत्र व्यक्तित्व नई भाषा, नई संरचना और आन्तरिक गतिशीलता के सहारे निर्मित किया गया है।

Arun Prakash

अरुण प्रकाश जन्म: 1948, बेगूसराय (बिहार)। शिक्षा: स्नातक, प्रबंध विज्ञान और पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा। कहानी-संग्रह: भैया एक्सप्रेस, जल-प्रांतर, मँझधार किनारे, लाखों के बोल सहे, विषम राग। उपन्यास: कोंपल कथा। कविता संकलन: रात के बारे में। अनुवाद: अंग्रेजी से हिन्दी में विभिन्न विषयों की आठ पुस्तकों का अनुवाद। अनुभव: कुछ अखबारों, पत्रिकाओं का सम्पादन, कई धारावाहिकों, वृत्तचित्रों तथा टेलिफिल्मों से सम्बद्ध रहे। कई स्तम्भों का लेखन। प्रायः एक दशक से कथा-समीक्षा और आलोचना लेखन। अनेक राष्ट्रीय स्तर की संगोष्ठियों में सहभागिता। सम्मान: साहित्यकार सम्मान, हिन्दी अकादमी, दिल्ली; कृति पुरस्कार, हिन्दी अकादमी, दिल्ली; रेणु पुरस्कार, बिहार शासन; दिनकर सम्मान; सुभाषचन्द्र बोस कथा सम्मान; कृष्ण प्रताप स्मृति कथा पुरस्कार। सम्प्रति: स्वतंत्र लेखन।
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