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2nd Hand Book with Damage Corner
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Publisher | Vani Prakashan |
Publication Year | 2004 |
ISBN-13 | 8181431820 |
ISBN-10 | 8181431820 |
Binding | Hardcover |
Number of Pages | 200 Pages |
Language | (Hindi) |
Dimensions (Cms) | 22X14.2X2 |
Weight (grms) | 340 |
विष्णु खरे को जहाँ कुछ प्राध्यापक-आलोचकों ने उनकी कुछ समीक्षाओं से भयभीत होकर ‘‘विध्वंसवादी’’ आलोचक कहा है, वहां अधिकांश वरिष्ठ एवं युवा सर्जकों और आलोचकों की ऐसी मान्यता बनी है कि वे विश्लेषणों में कृति की गहरी समझ, अनुभूतिशील प्रतिबद्ध वैचारिकता तथा रचनात्मक साहित्य जैसी पठनीयता एक साथ मौजूद हैं। उनकी मर्मदर्शी निगाह, धारदार भाषा और कारगर परिहासप्रियता छद्म लेखन ही नहीं, छद्म आलोचना के आडम्बर और घटाटोप को भी बिना रियायत या क्षमायाचना के उघाड़कर रखती हैं विनम्रता और स्नेह उनकी समीक्षा को एक गहरी नैतिक शक्ति देते हैं। एक और बात जो विष्णु खरे के आलोचनात्मक लेखन को विशिष्ट तथा स्थायी बनाती है वह यह है वह एक ऐसे कवित ने किया है जिसने आत्मप्रचार या आत्मरक्षा के लिए समीक्षाएं नहीं लिखी हैं, जो राष्ट्रीय तथा विदेशी साहित्य और आलोचना की वैविध्यपूर्ण प्रगति से स्वयं को परिचित रखता रहा है और जो कई तरह के जोखिम उठाता हुआ भी समकालीन हिंदी कविता और कवियों पर अपनी बेलौस और दो-टूक राय रखने से बाज नहीं आता।
Vishnu Khare
Vani Prakashan