Badri Narayan
बद्री नारायण हिन्दी के महत्त्वपूर्ण कवि हैं। नवें दशक के कवियों में सर्वाधिक चर्चित। आप सामाजिक इतिहास एवं सांस्कृतिक मानवविज्ञान के विशेषज्ञ भी हैं। हिन्दी के एक प्रतिष्ठित कवि होने के साथ-साथ आप उत्तर भारत की आधारभूत राजनीतिक समझ और निर्मितियों की पहचान करनेवाले समाजविज्ञानी के रूप में भी जाने जाते हैं। आपके प्रकाशित कविता-संग्रह हैं—‘खुदाई में हिंसा’, ‘शब्दपदीयम’ और ‘सच सुने कई दिन हुए’। आपकी प्रतिनिधि कविताओं की पुस्तक भी शीघ्र ही प्रकाशित होनेवाली है। आप ‘भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार’, ‘बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान’, ‘केदार सम्मान’, ‘स्पंदन कृति पुरस्कार’, ‘राष्ट्रकवि दिनकर पुरस्कार’, ‘शमशेर सम्मान’, ‘मीरा स्मृति सम्मान’ से सम्मानित हो चुके हैं। आपकी कविताएँ अंग्रेजी, बांग्ला, उडिय़ा, मलयालम, उर्दू तथा अन्य भारतीय भाषाओं में अनूदित हो चुकी हैं। आपने देश-विदेश के अनेक साहित्यिक मंचों पर काव्य-पाठ किया है। आप कविता लिखने के साथ-साथ उस पर हो रहे चिन्तन एवं विमर्श के एक प्रखर हस्ताक्षर के रूप में भी जाने जाते हैं। हिन्दी तथा अंग्रेजी के शीर्षस्थ पत्र-पत्रिकाओं में राजनीतिक विशेषणों पर आधारित आपके कॉलम भी प्रकाशित होते रहे हैं। आपके वैचारिक निबन्धों की कई पुस्तकें प्रकाशित हैं।
Sunit Singh
बद्री नारायण जीबी पन्त सोशल साइंस इंस्टीट्यूट, इलाहाबाद में प्रोफेसर हैं। उनकी रुचि लोक संस्कृति, समाज और मानवशास्त्रीय इतिहास से लेकर दलित और सबाल्टर्न मुद्दों तक है। वह हिन्दी और अंग्रेज़ी में लिखते हैं। श्री नारायण ने ‘दि मेकिंग ऑफ दलित पब्लिक इन नॉर्थ इंडिया : उत्तर प्रदेश, 1950-वर्तमान तक’ (2011), ‘फैसिनेटिंग हिन्दुत्व : सैफ्रान पॉलिटिक्स एंड दलित मोबिलाइजेशन’ (2009), ‘वुमेन हीरोज़ और दलित एसर्शन इन नॉर्थ इंडिया’ (2006) किताबें लिखी हैं। सम्मान : उन्हें फुलब्राइट सीनियर फेलोशिप (2004-05) और यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज से स्मट्स $फेलोशिप (2007) भी प्राप्त हुई है।
Badri Narayan
,Sunit Singh
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd