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Publisher | V & S Publishers |
Publication Year | 2020 |
ISBN-13 | 9789381448748 |
ISBN-10 | 9381448744 |
Binding | Paperback |
Edition | FIRST |
Number of Pages | 151 Pages |
Language | (Hindi) |
Dimensions (Cms) | 21x14x0.5 |
Weight (grms) | 192 |
आज पश्चिम की स्वच्छंद और भोगवादी संस्कृति के कारण हमारा परिवेश ही बदल गया है आनंद मनाने, योजनाओ मे जीने और चकाचौंध-भरी दुनिया मे सुध-बुध बिसार देने की होड़ मची है ऐसी जीवन शैली से सर्वप्रथम बच्चे ही प्रभावित होते हैक्योंकि सीखने-समझने,परिक्कव बनने की कच्ची उम्र मे ही उन्हें परीलोक जैसा काल्पनिक संसार आकर्षित कर रहा होता है यह संक्रमण काल भयावह है जिससे बचना अवश्यभावी है बेजा लाड़-प्यार, चोरी-चुगली, जिद्दीपन, ईर्ष्या, आलस, पढ़ाई से ऊब, काम से जी चुराना, तोड़-फोड़, मार-पीट, आवारागर्दी, छिछला मनोरंजन, बेहूदा फैशन, यौनाक , डेटिंग-सेटिंग, खतरनाक नसों का आकर्षण, अनुशासनहीनता, अपराधी और हिंसक प्रवर्तित, लचयेहीनता, पलायन, कुंठाये, पैसे का घमंड, गलत संगतिया, शार्ट कट की संस्कृति जैसे विकार बच्चो के बचपन और उनके भविष्य को बर्बाद कर उनके संरशको को अभिशपथ जीवन जीने के लिए बाध्ये कर देते है लेकिन चिंता करने और घबराने की आवसयकता नहीं है केवल आप सदैव जागरूक बने रहे और बच्चों को सही रास्ता दिखाए, उनके बचपन को संवारे और सुखद भविष्य का निर्माण करे यह पुस्तक आपकी पूरी-पूरी सहायता करेंगी इसमें बच्चों के बिगड़ने के कारण और लकण तो दिए ही गए है,साथ ही उन्हें बिगड़ने से रोकने के ठोस एवं व्यावहारिक उपाय भी सुझाए गए है
Chunni Lal Saluja
V & S Publishers