Publisher |
V & S Publishers |
Publication Year |
2018 |
ISBN-13 |
9789381448557 |
ISBN-10 |
9789381448557 |
Binding |
Paperback |
Number of Pages |
123 Pages |
Language |
(Hindi) |
Dimensions (Cms) |
21x14x0.5 |
Weight (grms) |
174 |
बैजू बावरा का नाम आज कौन नहीं जानता। वह विधवा माँ के आंचल मे ही पले-बढ़े। देवयोग से माँ-पुत्र को एक महान गुरु के दर्शन हो गए । वृंदावन के वन में संगीताचार्य स्वामी हरिदास जी का आश्रम था। उनकी दिव्य दृष्टि मे बैजू की प्रतिभा समा गई और उनके विज्ञादान से एक दिन वह इतने बड़े गायक बने कि पारखी उन्हें संगीत सम्राट तानसेन की प्रतिद्वंद्वी मानने लगे । क्या आप भी बच्चों को एक पूरी प्रतिभा के रूप में जानते हैं। क्या आप जानना चाहते हैं कि बच्चों को कैसे पूरी तरह से चरित्रवान बनाया जा सकता है? क्या आप उन्हें शिक्षा, खेल और अन्य क्षेत्रों में लगातार हिस्सेदारी दे रहे हैं? क्या आप उनके भीतर छिपी क्षमताओं को खोजने में सक्षम हैं क्या आप उसमे चुस्ती, स्फूर्ति , बुद्धिमत्ता, सच्चरित्ता, शिष्टाचार, व्यव्हार, कुशलता एवं संवेदनशीलता की हरियाली उगाना चाहते हैं। क्या आप अपने बच्चों को सबसे अलग, सबसे लम्बे, स्वस्थ और सबसे सुंदर देखना चाहते हैं।
Chunni Lal Saluja
शिक्षा शास्त्री तथा समाज एवं मनोविज्ञान विषयों मे पारंगत लेखक चुन्नीलाल सलूजा की ३३ वर्षो मे लगभग १६०० रचनाएं छप चुकी है रास्ट्रपति पदक तथा अन्य अनेक पुरस्कारों द्वारा सम्मानित लेखक पत्नी शीला जी के साथ तथा अलग से अभी तक इनकी आधा दर्जन से अधिक पुस्तके प्रकाशित हो चुकी है
Chunni Lal Saluja
V & S Publishers