Bramhand ke Bade Sawalo ke Sankshipt Jawab (Hindi)

Author:

Stephen Hawking

Publisher:

Manjul Publishing House Pvt. Ltd.

Rs299 Rs399 25% OFF

Availability: Available

Shipping-Time: Same Day Dispatch

    

Rating and Reviews

0.0 / 5

5
0%
0

4
0%
0

3
0%
0

2
0%
0

1
0%
0
Publisher

Manjul Publishing House Pvt. Ltd.

Publication Year 2020
ISBN-13

9789389647983

ISBN-10 9389647983
Binding

Paperback

Edition First
Number of Pages 211 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 21.5 X 14 X 1.5
Weight (grms) 214

दुनिया के प्रसिद्ध ब्रह्मांड विज्ञानी और अ ब्रीफ़ हिस्ट्री ऑफ़ टाइम के लेखक के ब्रह्मांड के सबसे बड़े प्रश्नों पर व्यक्त अंतिम विचार उनकी इस मरणोपरांत प्रकाशित पुस्तक में दिए गए हैं। ब्रह्मांड की उत्पत्ति कैसे हुई? क्या मानवता पृथ्वी पर अस्तित्व में रहेगी? क्या सौर मंडल से भी ज्यादा बौद्धिक जीवन कोई है? क्या आर्टिफ़िशल इंटेलिजेंस हमें नियंत्रित करेगा? अपने असाधारण करिअर में स्टीफन हॉकिंग ने ब्रह्मांड के प्रति हमारी समझ को और अधिक विस्तार दिया है तथा कई रहस्यों को उजागर किया है। लेकिन फिर भी ब्लैक होल्स, काल्पनिक समय और विभिन्न इतिहास-काल पर उनका सैद्धान्तिक कार्य उनकी सोच को अंतरिक्ष के गूढ़तम स्तर तक ले जाता है। हॉकिंग मानते थे कि पृथ्वी पर जो भी समस्याएं हैं, उनको हल करने में विज्ञान महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अब हम इन विनाशकारी बदलावों का सामना कर रहे हैं - जैसे पर्यावरण में बदलाव, परमाणु युद्ध की चुनौती और आर्टिफ़िशल सुपर इंटेलिजेंस का विकास। स्टीफ़न हॉकिंग सबसे अहम और मानवता के लिए अति महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी बात कह रहे हैं। मानव के रूप में हम जो चुनौती अपने समक्ष पाते हैं और ये पृथ्वी किस दिशा में बढ़ रही है, उस बारे में लेखक के निजी विचार इस पुस्तक में दिए गए हैं।

Stephen Hawking

In 1963, Stephen Hawking contracted motor neurone disease and was given two years to live. Yet he went on to Cambridge to become a brilliant researcher and Professorial Fellow at Gonville and Caius College. For thirty years he held the post of Lucasian Professor of Mathematics and Theoretical Physics at Cambridge, the chair held by Isaac Newton in 1663. Professor Hawking has over a dozen honorary degrees, was awarded the CBE in 1982. He is a fellow of the Royal Society and a Member of the US National Academy of Science.

No Review Found
More from Author