Publisher |
LOKBHARTI PRAKASHAN |
Publication Year |
2009 |
ISBN-13 |
9788180313561 |
ISBN-10 |
9788180313561 |
Binding |
Hardcover |
Number of Pages |
103 Pages |
Language |
(Hindi) |
Dimensions (Cms) |
20 x 14 x 4 |
Weight (grms) |
300 |
वे अहिन्दीभाषी जनता में भी बहुत लोकप्रिय थे क्योंकि उनका हिन्दी प्रेम दूसरों की अपनी मातृभाषा के प्रति श्रद्धा और प्रेम का विरोधी नहीं, बल्कि प्रेरक था । - हजारीप्रसाद द्विवेदी दिनकर जी ने श्रमसाध्य जीवन जिया । उनकी साहित्य साधना अपूर्व थी । कुछ समय पहले मुझे एक सज्जन ने कलकत्ता से पत्र लिखा कि दिनकर को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलना कितना उपयुक्त है? मैंने उन्हें उत्तर में लिखा था कि- यदि चार ज्ञानपीठ पुरस्कार उन्हें मिलते, तो उनका उचित सम्मान होता- गद्य, पद्य, भाषणों और हिन्दी प्रचार के लिए । - हरिवंश राय ' बच्चन, उनकी राष्ट्रीय चेतना और व्यापक सांस्कृतिक दृष्टि, उनकी वाणी का ओज और काव्यभाषा के तत्वों पर बल, उनका सात्विक मूल्यों का आग्रह उन्हें पारम्परिक रीति से जोड़े रखता है ।
Ramdhari Singh Dinkar
राष्ट्रकवि 'दिनकर' छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे। एक ओर उनकी कविताओं में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति। वे संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी और उर्दू के भी बड़े जानकार थे। वे 'पद्म विभूषण' की उपाधि सहित 'साहित्य अकादेमी पुरस्कार', 'भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार' आदि से सम्मानित किए गए थे।.
Ramdhari Singh Dinkar
LOKBHARTI PRAKASHAN