तरक्कीपसंद शायर कैफ़ी आज़मी की समग्र शायरी में से चुनी हुई उनकी श्रेष्ठ ग़ज़लें, नज़्में और शे'र साथ ही, उनकी सुप्रसिद्ध बेटी शबाना आज़मी द्वारा लिखा जीवन-परिचय जिसका शीर्षक है- 'अब्बा'। खुशवंत सिंह ने कैफ़ी आज़मी को 'आज की उर्दू शायरी का बादशाह' करार दिया है- और सचमुच वे हैं भी। कैफ़ी आज़मी के समूचे कलाम में से चुनी हुई रचनाओं का विशेष संकलन- फिल्मी गीतों सहित।
kaifi Azmi
जन्म: ज़िला आज़मगढ़ (उत्तर प्रदेश) के गाँव मजवाँ में एक शिया ज़मींदार परिवार में। तारीख़ या साल ख्शुद क़ैफ़ी साहब को याद नहीं था कोई और कैसे बताए! फिर भी, उनकी अपनी तहरीर के बल पर क़यास किया जा सकता है कि वे 1920 के साल-दो साल उधर या इधर पैदा हुए होंगे। शिक्षा: इलाहाबाद और लखनऊ में हुई। सुल्तानुल- मदारिस, लखनऊ में आपको मौलवी बनाने के लिए भरती कराया गया था, लेकिन आप कुछ और ही बन गए। अफ़सानानिगार आयशा सिद्दीक़ी के शब्दों में, ‘क़ैफ़ी साहब को वहाँ इसलिए दाख़िल किया गया था कि फ़ातिहा पढ़ना सीखंेगे मगर वहाँ क़ैफ़ी साहब मज़हब पर फ़ातिहा पढ़कर निकल आए।’ 11 साल की उम्र में अपनी पहली ग़ज़ल कही और एक मुशायरे में पढ़ी। उसके बाद से आपका शे’री सफ़र लगातार जारी रहा। प्रकाशन: झंकार (1943), आख़िर-शब (1947), आवारा सज्दे (1973), 1974 में मेरी आवाज़ सुनो (फि़ल्मी गीतों का संकलन) और 1992 में सरमाया (प्रतिनिधि रचनाओं का चयन)। सम्मान: उत्तर प्रदेश उर्दू अकादेमी और साहित्य अकादेमी का पुरस्कार, सोवियत भूमि नेहरू पुरस्कार, अफ्रो-एशियाई लेखक संघ का लोटस पुरस्कार, ग़ालिब पुरस्कार और हिन्दी अकादेमी, दिल्ली का शताब्दी सम्मान।.
kaifi Azmi
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