Aayenge Ache Din Bhi

Author:

Swayam Prakash

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Rs175 Rs199 12% OFF

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2023
ISBN-13

9788119159956

ISBN-10 8119159950
Binding

Paperback

Number of Pages 152 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 X 13 X 1

कथाकार स्वयं प्रकाश के पास वर्तमान भारतीय समाजखासकर मध्यवर्गको आर-पार देखने वाली दृष्टि तो है ही, अर्थपूर्ण कथा-स्थितियों के चयन और भाषा के सृजनात्मक उपयोग के लिए भी उनका लेखन अलग से पहचाना जाता है। आकस्मिक नहीं कि पाठक स्वयं उनकी कहानी में शामिल हो जाता है अथवा उनके कथा-चरित्र उससे सीधे संवाद करने लगते हैं।आएँगे अच्छे दिन भीसंग्रह में लेखक की ग्यारह कहानियाँ संगृहीत हैं। इनमेंपार्टीशनऔरआलेखजैसी मूल्यवान कहानियाँ यदि धर्मांधता और साम्प्रदायिक घृणा को बढ़ाने वाली ताकतों के अमानवीय क्रिया-कलाप को उघाड़ती हैं तोबेमकानशीर्षक कहानी हमारे जीवन-व्यवहार में जड़ीभूत सामन्ती संस्कारों पर प्रहार करती है।अफसर की मौतअफसरशाही पर चढ़ी चिकनाई और आभिजात्य की धज्जियाँ उड़ाती है तोगुमशुदाभी प्रायः उसी जमीन पर एक गहरी विडम्बना को उजागर करती है।संहारकर्ताऔरचोर की माँशीर्षक कहानियाँ पाठक को एक नैतिक समस्या के रू--रू ला खड़ा करती हैं।नैनसी का धूड़ाहमारे अपने दैन्य और दुर्भाग्य की अविस्मरणीय दास्तान है औरअशोक और रेनु की असली कहनीमेल शॉवनिज्म की बारीकियों पर विचार करते हुए एक सजग व्यक्ति के चेतना-सम्पन्न व्यक्ति में बदलने के आत्मसंघर्ष को रेखांकित करती है।झक्कीमें वृद्धावस्था की ऊब और एकरसता की दिलचस्प प्रस्तुति है तोमरनेवाले की जगहरोजगार से जुड़ी त्रासद जीवन-स्थितियों पर व्यंग्य करती है संक्षेप में कहा जाए तो स्वयं प्रकाश की इन कहानियों ने अपने समय और समाज को जैसी रचनात्मक ईमानदारी, लोकोन्मुख दृष्टिमयता और कलात्मक सहजता से प्रस्तुत किया है, समकालीन हिन्दी कहानी इससे अनेक स्तरों पर समृद्ध हुई है।

Swayam Prakash

20 जनवरी, 1947 को इंदौर (मध्यप्रदेश) में जन्म। एम.ए., पी-एच.डी.। मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा। हिंदी की प्रायः सभी महत्वपूर्ण पत्रिकाओं में कहानियों का प्रकाशन। विभिन्न भाषाओं में कहानियाँ अनूदित। कुछ नुक्कड़ नाटकों (विशेषकर ‘सबका दुश्मन’ और ‘नई बिरादरी’) के अनेकानेक प्रदर्शन। आठवें दशक में जनवादी पत्रिका ‘क्यों’ का सम्पादन। ‘सूरज कब निकलेगा’ शीर्षक कहानी संग्रह पर राजस्थान साहित्य अकादमी का पुरस्कार। प्रकाशित पुस्तकें: मात्रा और भार, सूरज कब निकलेगा, आसमाँ कैसे-कैसे, अगली किताब, आएँगे अच्छे दिन भी (कहानी-संग्रह), फिनिक्स (नाटक) तथा दो उपन्यास, एक निबन्ध-संग्रह और बच्चों के लिए दो किताबें।
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