Publisher |
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd |
Publication Year |
2018 |
ISBN-13 |
9789387462601 |
ISBN-10 |
9789387462601 |
Binding |
Hardcover |
Number of Pages |
152 Pages |
Language |
(Hindi) |
Dimensions (Cms) |
20 x 14 x 4 |
Weight (grms) |
300 |
कुँवर नारायण उन अत्यल्प साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों में हैं जिन्होंने अपने लेखन में भारतीय और वैश्विक विचार, चिन्तन, संवेदना और सरोकारों से गहन संवाद किया है। यह संवाद किसी एक साहित्यिक विधा तक सीमित नहीं रहा। उनकी काव्येतर कृतियाँ इस बात की पुष्टि करती हैं। कुँवर नारायण ने जैसे विश्वस्तरीय कविताएँ लिखी हैं वैसे ही कहानियाँ भी। 'बेचैन पत्तों का कोरस' कुँवर नारायण का दूसरा कहानी-संग्रह है। पहला कहानी-संग्रह, 'आकारों के आसपास', सत्तर के दशक में आया था। अपनी असाधारण मौलिकता के चलते यह संग्रह $खासा ध्यानाकर्षक रहा। उस व$क्त रघुवीर सहाय, श्रीकांत वर्मा, श्रीलाल शुक्ल, नेमिचन्द्र जैन जैसे साहित्यकारों ने इन कहानियों को सुखद आश्चर्य के साथ सराहा। वर्तमान समय के कथाकारों और समीक्षकों तक के लिए ये कहानियाँ निरन्तर आकर्षण और प्रेरणा का विषय बनी हुई हैं। इसी उपलब्धि का विस्तार हम इस दूसरे संकलन में पाते हैं, जो कि एक लम्बे अन्तराल के बाद आ रहा है।
Kunvar Narayan
कुँवर नारायण
(1927-2017)
कुँवर नारायण आधुनिक समय के श्रेष्ठतम साहित्यकारों में हैं। वे कविता, कहानी, निबन्ध, आलोचना, विचार, अनुवाद आदि विधाओं में लिखते रहे हैं। उनकी कृतियाँ व्यापक रूप से राष्ट्र्रीय और अन्तरराष्ट्र्रीय स्तर पर अनूदित और सम्मानित हुई हैं। उनके जीवन और लेखन का अद्वैत उन्हें समकालीन परिदृश्य का एक अनूठा रचनाकार बनाता है।
Kunvar Narayan
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd