Bharat Ke Shasak

Author:

Rammanohar Lohiya

Publisher:

LOKBHARTI PRAKASHAN

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Publisher

LOKBHARTI PRAKASHAN

Publication Year 2019
ISBN-13

9789352210831

ISBN-10 9789352210831
Binding

Paperback

Number of Pages 207 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 x 14 x 4
Weight (grms) 210
डॉ ० लोहिया के चालीस साल के राजनीतिक जीवन में कभी उन्हें देश में सही माने में नहीं समझा गया । जब देश ने उन्हें । समझा और उनके प्रति लोगों में चाह बड़ी, लोगों ने उनकी ओर आशा की निगाहों से देखना शुरू किया तो अचानक ही वे चले गये । हाँ, जाते- जाते अपना महत्त्व लोगों के दिलों में जमा गये । लोहिया का महत्त्व! उन्हें गये इतना समय बीत गया, देश की राजनीति में कितना परिवर्तन आ गया । फिर भी आज जैसे नए सिरे से लोहिया की जरूरत महसूस की जा रही है । यह तो भावी इतिहास ही सिद्ध करेगा कि देश में आए आज के परिवर्तन में लोहिया की क्या भूमिका रही है । लगता है कि लोहिया ऐसे इतिहास-पुरुष हो गए हैं, जैसे-जैसे दिन बीतेंगे, उनका महत्त्व बढ़ता जाएगा । किसी लेखक ने ठीक ही लिखा है- ' 'डॉ ० राममनोहर लोहिया गंगा की पावन धारा थे, जहाँ कोई भी बेहिचक डूबकी लगा कर मन को और प्राण को ताजा कर सकता है । ', एक हद तक यह बड़ी वास्तविक कल्पना है । सचमुच लोहिया जी गंगा की धारा ही थे- सदा वेळ से बहते रहे, बिना एक क्षण भी रुके, बिना ठहरे । जब तक गंगा की धारा पहाड़ों में भटकती, टकराती रही, किसी ने उसकी ओर ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब मैदानी ढाल पर आकर वह धारा तीव्र गति से बहने लगी तो उसकी तरंगों, उसकी वेगवती धारा, उसके हाहाकार की ओर लोगों ने चकित होकर देखा, पर लोगों को मालूम न था कि उसका वेळ इतना तीव्र था कि समुद्र से मिलने में उसे अधिक समय न लगा । शायद उस वेगवती नदी को खुद भी समुद्र के इतने पास होने का अन्दाज न था । लगता है कि इतिहास-पुरुषों के साथ लोहिया का मन का बहुत गहरा रिश्ता था । ऐसे ही लोहिया के कुछ भावुक क्षण होते थे- राजनीति से दूर, पर इतिहास के गर्भ में जब वे डूबते थे, तो दूसरे ही लोहिया होते थे । यह इस देश का, इस समाज का और आधुनिक राजनीतिक का दुर्भाग्य है कि वह महान चिन्तक इस संसार से इतनी जल्दी चला गया । यदि लोहिया कुछ वर्षों और जिन्दा रह जाते तो निश्चय ही सामाजिक चरित्र और समाज संगठन में कुछ नए मोड़ आ जाते । ओंकार शरद.

Rammanohar Lohiya

जन्म: अकबरपुर (फ़ैजाबाद, उ.प्र.), 23 मार्च, 1910 शिक्षा: अकबरपुर, बनारस और कलकत्ता में ! बर्लिन विश्वविद्यालय से 1933 ई. में अर्थशास्त्र में पी. एच. डी. ! गतिविधियाँ: 1934 में कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापक सदस्य, राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य, 'कांग्रेस सोशलिस्ट' (अंग्रेजी साप्ताहिक, कलकत्ता) का संपादन ! 1936-38 में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के विदेश-सचिव ! 1942 की अगस्त क्रांति का नेतृत्व, विशेष रूप में कांग्रेस रेडियो का संचालन ! 1944 के आरम्भ में गिरफ़्तारी, लाहौर के किले में यातनाएँ ! 1946 में रिहाई के दो महीने बाद ही गोवा के मुक्ति संग्राम का नेतृत्व, नेपाल के लोकतान्त्रिक आन्दोलन का (1950 तक) मार्ग-दर्शन ! 1946 में बंगाल और बाद में दिल्ली में गाँधी जी के शांति प्रयत्नों में सक्रिय योग ! 1948 में हिन्द किसान पंचायत के अध्यक्ष ! 1947-51 समाजवादी दल की विदेश निति समिति के सम्मलेन में भारतीय प्रतिनिधि के रूप में यूरोप यात्रा, 1951 में विश्व यात्रा ! 1954, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के महामंत्री ! 1955-56, सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना, प्रथम अध्यक्ष ! 1958, अंग्रेजी हटाओ, दाम बांधों, और जाति विनाश आंदोलनों का सूत्रपात और संगठन ! 1962 में फर्रुखाबाद उ.प्र. से उपचुनाव में लोकसभा के सदस्य निर्वाचित ! 1964 में अमरीका यात्रा और रंगभेद के विरुद्ध सिविल नाफ़रमानी करने पर गिरफ़्तारी ! 1966 में रूस और पूर्वी जर्मनी की यात्रा 1937 से 1966 के बीच ब्रितानी, पुर्त्तगाली, और कांग्रेसी शासनों द्वारा कुल 18 बार गिरफ़्तारी ! निधन: नई दिल्ली के बिलिंग्दन अस्पताल में 12 अक्टूबर, 1967 !.
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