Publisher |
VANI PRAKSHAN |
Publication Year |
2021 |
ISBN-13 |
9788194873655 |
ISBN-10 |
9788194873655 |
Binding |
Paperback |
Number of Pages |
363 Pages |
Language |
(Hindi) |
Dimensions (Cms) |
21.5x14x2 |
Weight (grms) |
362 |
दास्तान-ए-हिमालय का दूसरा खण्ड उत्तराखण्ड पर केन्द्रित है। इसका पहला लेख उत्तराखण्ड के इतिहास का विहंगावलोकन करता है। दूसरे में बैरीमैन की किताब 'हिन्दूज ऑफ़ द हिमालय' की पड़ताल करने की कोशिश है। तीसरा लेख उत्तराखण्ड में सामाजिक आन्दोलनों की प्रारम्भिक रूपरेखा प्रस्तुत करता है तो चौथा कुली बेगार आन्दोलन का अध्ययन है। पाँचवें अध्याय में टिहरी रियासत के ढंढकों से शुरू सामाजिक प्रतिरोधों के प्रजामण्डल तक पहुँचने की कहानी प्रस्तुत की है। अध्याय छह कफल्टा के शर्मनाक हत्याकाण्ड के बहाने अभी भी बची जातीय कट्टरता और सामन्ती सोच की रिपोर्टिंग है। अगला लेख 1984 के 'नशा नहीं रोज़गार दो आन्दोलन' का वर्णन-विश्लेषण है। आठवाँ अध्याय उत्तराखण्ड में पर्यावरण और खेती के रिश्तों पर दिया गया व्याख्यान है। अन्तिम अध्याय उत्तराखण्ड में प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं की दो सदियों की कथा कहता है
Shekhar Pathak
Shekhar Pathak is the quintessential historian-as-fieldworker: he has lived in the many valleys where the Chipko protests took place, studied their landscapes, and talked at length to protesters and communities. He has trawled through local newspapers of the 1970s and 1980s and conducted oral interviews with the movement’s leaders and foot soldiers.
Shekhar Pathak
VANI PRAKSHAN