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Publisher | RADHAKRISHAN PRAKASHAN PVT. LTD |
Publication Year | 2023 |
ISBN-13 | 9788119092024 |
ISBN-10 | 8119092023 |
Binding | Paperback |
Number of Pages | 212 Pages |
Language | (Hindi) |
संस्कृत नाटकों की लगभग एक हज़ार वर्ष लम्बी नाट्य-परम्परा में महाकवि शूद्रक की रचना ‘मृच्छकटिकम्’ अपना अद्वितीय स्थान रखती है। इसका हिन्दी रूपान्तर सुप्रसिद्ध कहानीकार और नाटककार मोहन राकेश ने बहुत पहले किया था। ‘मृच्छकटिक’ अर्थात् मिट्टी की गाड़ी जिसमें एक ओर चारुदत्त और वसंतसेना की प्रेमकथा है तो दूसरी ओर उसकी पृष्ठभूमि में तत्कालीन राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक परिस्थितियों का ऐसा सशक्त एवं जीवन्त चित्रण है कि वह इस नाटक को अनायास ही प्रत्येक युग के लिए आश्चर्यजनक रूप से समसामयिक बना डालता है। चोर, जुआरी, राजा का साला, शरीर की मालिश करनेवाला और रिश्वतख़ोर कर्मचारी और इन सबके साथ-साथ राजसत्ता को पलटने में सफल लोकक्रान्ति—ये सभी तत्त्व मिलकर इस नाटक को एक ऐसा कलेवर प्रदान करते हैं, जो सम्भवतः पूरे भारतीय नाट्य-साहित्य में दुर्लभ है। हमें विश्वास है कि अपने रूपान्तर में पाठकों, अध्येताओं और रंगकर्मियों के बीच ‘मृच्छकटिक’ का पुनः वैसा ही स्वागत होगा, जैसा कि पहले संस्करण के समय हुआ था।
Shudrak
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