Publisher |
VANI PRAKSHAN |
Publication Year |
2020 |
ISBN-13 |
9789389563474 |
ISBN-10 |
9789389563474 |
Binding |
Hardcover |
Number of Pages |
94 Pages |
Language |
(Hindi) |
वरिष्ठ कवि, कथाकार, उपन्यासकार, कला और फ़िल्म समीक्षक विनोद भारद्वाज की ये कहानियाँ प्रेम, सेक्स और आधुनिक जीवन की काव्यात्मक महागाथा हैं। गौरतलब है कि विनोद भारद्वाज ने करीब चार दशकों में महज़ 11 कहानियाँ लिखी हैं, जो प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं और साहित्यिक विशेषांकों में छपकर पहले ही चर्चित हो चुकी हैं। पहली नज़र में देखें तो ऐसा लगता है कि संग्रह की अधिकांश कहानियाँ (चितेरी, अभिनेत्री, लेखिका, एक अभिनेत्री का अधूरा पत्र, 'दूसरी' पत्नी, फेसबुकिया लव) नये ज़माने में स्त्री-पुरुष सम्बन्धों के बदलते रिश्तों पर केन्द्रित हैं। लेकिन दरअसल इन कहानियों के केन्द्र में वह 'नयी स्त्री' है, जिसकी प्राथमिकताएँ, सपने, आकांक्षाएँ, संघर्ष के तरीके तेज़ी से बदल रहे हैं। स्त्रीवाद, स्त्री-मुक्ति के बहुप्रचारित तुमुल कोलाहल-कलह से बहुत दूर खड़ी ये औरतें पितृसत्ता से मोल-भाव के तमाम तरीके आजमाने में माहिर हो चुकी हैं। -अभिषेक कश्यप
Vinod Bhardwaj
"विनोद भारद्वाज
जन्म : 1948 लखनऊ में।
विनोद भारद्वाज ने लखनऊ विश्वविद्यालय से 1971 में मनोविज्ञान में एम.ए. के बाद टाइम्स ऑफ़ इंडिया के हिन्दी प्रकाशनों में पत्रकारिता शुरू की। वहाँ 25 सालों की नौकरी में धर्मयुग, दिनमान और नवभारत टाइम्स सरीखे प्रकाशनों में फ़िल्म, कला, संस्कृति, साहित्य आदि पर नियमित लिखा। 1967-69 में कविता-कला की लघु पत्रिका ‘आरम्भ’ का सम्पादन किया। 1981 में उन्हें कविता के लिए भारतभूषण अग्रवाल स्मृति पुरस्कार और सर्जनात्मक लेखन के लिए प्रतिष्ठित संस्कृति पुरस्कार मिला। 1989 में उन्हें लेनिनग्राद (तत्कालीन सोवियत संघ) के पहले अन्तरराष्ट्रीय ग़ैर कथा फ़िल्म महोत्सव की ज्यूरी का सदस्य चुना गया। ‘जलता मकान’, ‘होशियारपुर’ (कविता-संग्रह); ‘नया सिनेमा’, ‘समय और सिनेमा’, ‘सिनेमा : कल, आज, कल’ (फ़िल्म पर पुस्तकें); ‘समकालीन भारतीय कला : एक अन्तरंग अध्ययन’, ‘कला के सवाल’, ‘कला-चित्रकला’, ‘वृहद आधुनिक कला कोश’, ‘रामचन्द्रन कला संसार’ (कला पर पुस्तकें); ‘चितेरी’ (कहानी-संग्रह); ‘समय सच्चाई और सपने’ (टिप्पणियाँ और स्तम्भ) और ‘संस्कृति संवाद’ (भेंटवार्ताएँ) आदि विनोद भारद्वाज के प्रमुख प्रकाशन हैं। धूमीमल गैलरी के सूजा के विशाल संग्रह के कैटलॉग (अंग्रेज़ी) का उन्होंने सम्पादन भी किया है। राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, विदेश मंत्रालय, यू.जी.सी., दूरदर्शन और धलिमल गैलरी आदि के लिए वह तीस से अधिक कला फ़िल्मों के सब्जेक्ट एक्सपर्ट रह चुके हैं। ललित कला अकादेमी की स्वर्ण जयन्ती के अवसर पर उन्होंने ‘आर्ट इन सिनेमा’ नाम के चर्चित कार्यक्रम को क्यूरेट किया, ‘समकालीन कला’ के दो अंकों का अतिथि सम्पादन किया और ‘कलाएँ आसपास’ पुस्तक का सम्पादन किया।"
Vinod Bhardwaj
VANI PRAKSHAN